नई दिल्ली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम उन चार इतालवी मरीनों से पूछताछ करने इटली जा सकती है, जो वर्ष 2012 में केरल के तटीय क्षेत्र में दो भारतीय मछुआरों के मारे जाने की घटना के गवाह हैं। इन मरीनों ने जांचकर्ताओं के समक्ष पेश होने के लिए भारत आने से इनकार कर दिया है। गवाहों को भारत भेजने के नयी दिल्ली के बार बार आग्रह के बावजूद रोम ने स्पष्ट कर दिया है कि मामले में जांचकर्ताओं के समक्ष पेशी के लिए ये चारों मरीन भारत नहीं जाएंगे। भारतीय मछुआरों के मारे जाने के मामले में इटली के दो मरीन आरोपी हैं। इटली के इनकार करने पर गृह मंत्रालय ने आगे के कदम के बारे में विचार के लिए अटॉर्नी जनरल की राय मांगी है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अब भारत के समक्ष केवल दो विकल्प बचे हैं, पहला यह कि मामले की जांच कर रही एनआईए की टीम अदालत से आग्रह पत्र मिलने के बाद इटली भेजी जाए। तब एनआईए की मौजूदगी में इटली पुलिस चारों मरीनों से पूछताछ करेगी। दूसरा विकल्प यह है कि भारत और इटली दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित पारस्परिक कानूनी सहायता संधि के तहत चारों गवाहों के बयान लिए जाएं। ये दोनों रास्ते भारतीय अदालत के लिए स्वीकार्य हैं। इटली द्वारा सुझाए गए दो अन्य विकल्प भारतीय अदालत में स्वीकार्य नहीं हैं। इन विकल्पों के अनुसार, या तो गवाहों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ की जाए या फिर चारों मरीनों के लिए प्रश्नावली रोम भेजी जाए।
कहा जाता है कि गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे और विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को एनआईए की टीम इटली भेजने में कोई आपत्ति नहीं है। इटली को भारत पहले ही बता चुका है कि गवाहों से पूछताछ में देरी का परिणाम मैसिमिलयानो लातोरे और सल्वातोर गिरोने के भविष्य को लेकर अनिश्चितता के रूप में सामने आएगा। इटली के ये दोनों मरीन 15 फरवरी 2012 को केरल के तटीय क्षेत्र में दो भारतीय मछुआरों की गोली मार कर जान लेने के मामले में आरोपी हैं। दोनों फिलहाल दिल्ली स्थित इतालवी दूतावास में बंद हैं।