भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने आज कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को विवादास्पद कोयला ब्लॉक आवंटन मामले की सीबीआई जांच के दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता क्योंकि जब यह निर्णय लिया गया, उस समय वही ‘सक्षम प्राधिकार’ थे। जेटली ने कहा कि सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के नाम दर्ज करके ‘बहुत बहुत गलत’ संकेत दिया है कि अनियमितताओं के लिए निवेशक और लोक सेवकों के खिलाफ जांच की जाएगी जबकि इस मामले में ‘सक्षम प्राधिकार’ और कोयला विभाग का प्रभार रखने वाले प्रधानमंत्री ‘बिना किसी नुकसान से बच जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन जैसे एक के बाद एक घोटाले संप्रग सरकार के प्रति मोह भंग कर रहे हैं।
जेटली ने यहां कहा
, ”यह (कोयला ब्लॉक आवंटन) मामला अंतरराष्ट्रीय और घरेलू निवेशकों दोनों को बहुत ही हानिकारक संकेत भेजेगा।’’ राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि यह तर्कसंगत नहीं है कि तत्कालीन कोयला सचिव को तो सीबीआई की दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया जाए लेकिन कोयला ब्लॉक आवंटन को मंजूरी देने वाले कोयला मंत्रालय के तत्कालीन प्रभारी (प्रधानमंत्री) को इससे बाहर रखा जाए। जेटली ने कहा कि पारेख इस मामले में केवल ‘‘सिफारिश करने वाले अधिकारी’’ थे लेकिन प्राथमिकी में उनका नाम आरोपी के तौर पर दर्ज किया गया। उन्होंने कहा, ”इसका स्वतः परिणाम यह होना चाहिए था कि तत्कालीन प्रभारी मंत्री जो कि प्रधानमंत्री थे, उन्हें इस मामले से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए था। वह सक्षम प्राधिकार हैं।’’
ओडिशा में
2005 में दो कोयला ब्लॉक आवंटित करने के मामले में आपराधिक षड़यंत्र रचने के आरोपों और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत पारेख और बिड़ला का नाम प्राथमिकी में दर्ज किया गया है। जेटली ने बिड़ला को प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक बताया और पारेख को ‘ईमानदार लोक सेवक’ करार देते हुए कहा है कि उन्होंने कोयला ब्लॉक आवंटन का विरोध करके नीलामी की सिफारिश की थी।
जेटली ने कहा
, ”यह मामला तीन संकेत भेजता है। निवेशकों को यह बताया जा रहा है कि यदि आप भारत में निवेश करते हैं तो कुछ वर्षों बाद जांच एजेंसियां आपकी परियोजनाओं और आवंटन की समीक्षा कर सकती हैं तथा आपके संगठन का प्रमुख आपराधिक जांच का सामना करेगा।’’ उन्होंने कहा, ”राजनीतिकों को यह बताया जा रहा है कि लोक सेवक जवाबदेह होंगे और सक्षम प्राधिकार जो कि राजनीतिक हैं, वह बिना किसी नुकसान के बच जाएगा।’’ जेटली ने कहा कि पारेख से जिस तरह का व्यवहार किया गया वह नौकरशाहों को चेतावनी है कि ‘सबसे ईमानदार लोक सेवकों के खिलाफ भी जांच की जाएगी।’ उन्होंने कहा कि इसका ‘सीधा प्रभाव’ यह होगा कि विदेशी निवेशकों का सूखा पड़ने के साथ अब घरेलू निवेशक भी ‘‘बाहर जाने के लिए बाध्य हो जाएंगे।’’ जेटली ने कहा, ”यह निवेशकों को बहुत गलत संकेत देता है। यदि राजनीतिकों को बचाने के लिए लोकसेवकों को दबाया जाएगा तो नौकरशाह ईमानदार सिफारिशें करना बंद कर देंगे।’’