कुंदा(चतरा)। सरकारी उदासीनता से छुब्ध जिले के अति उग्रवाद प्रभावित कुंदा प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित धरतीमांडर से मोहनपुर के बीच राजाबांध तालाब के समीप जर्जर पथ को आदिम जनताति बैगा बिरहोरों ने श्रमदान कर आवागमन के लायक बनाया। ज्ञात हो कि लगातार बारिश होने के कारण बीच सड़क पर बड़ा गढ़ा होने के साथ कुछ दुर तक सड़क जर्जर हो गया था और आवागमन में परेशानी हो रही थी। ऐसे में मोटरसाइकिल चालक जान हथेली पर रख राजाबांध के पास पार करते थे। उस सड़क से लगभग आधा दर्जन गांवों के लोगों का आवागमन होता है। ताजुब की बात यह है कि आजादी के इतने सालों बाद भी उक्त सड़क पर आवागमन करने वालें लोगों को पक्की सड़क सपना बन कर रह गया है। वहीं हर वर्ष बरसात में क्षेत्र के लोग श्रमदान कर सड़क की मरम्मती कर आगमन के लायक बनाते हैं। इसके बावजूद स्थानिय जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों द्वारा उक्त समस्या पर ध्यान नही दिया गया। गांव की सरकार बनने पर लोगों में विश्वास जागी लेकिन 10 वर्ष बीतने के बा भी उक्त गांवों की तस्वीर नही बदली। बैगा बिरहोरों ने बताया कि हम सभी अत्यंत गरीब हैं और प्रतिदिन मजदूरी कर दो वक्त के भोजन का जुगाड़ कर पाते हैं। इसके बावजूद भी हमलोग प्रत्येक वर्ष श्रमदान कर सड़क मरम्मत करते हैं। स्थानिय लोगों के अनुसार धरतीमांडर परहिया टोला तक वाहन जाने एक मात्र सड़क है। बैगा बिरहोरों ने सरकार से सड़क बनवाने की मांग की है।