– जान हथेली पर रखकर जर्जर भवन में रहने एवं कार्य करने के लिए विवश पुलिसकर्मी
विजय कुमार की रिपोर्ट
मेहरमा : आम लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले पुलिसकर्मी ही सुरक्षित नहीं हैं। मेहरमा थाना के कार्यालय एवं आवासों की बात करें तो वह खस्ताहाल हैं। पुलिस कर्मी जर्जर आवासों में रहने को मजबूर हैं। मेहरमा थाना कार्य करने के लिए सुरक्षित भवन नहीं है। मेहरमा थाना प्रभारी आवास एवं पुलिस जवान का बैरक भी पूरी तरह जर्जर हो चुका है।
जिस कार्यालय में सरकारी कागजात रहता है एवं थाना प्रभारी बैठकर कार्य का निष्पादन करते हैं, वह सबसे ज्यादा जर्जर स्थिति में है। थाना के कर्मी बताते हैं कि भवन के अंदर रहकर कार्य करने में काफी डर जैसा महसूस होता है। क्योंकि भवन कब गिर जाएगा, यह किसी को कोई पता नहीं है।
हालांकि मेहरमा थाना का अपना निजी भवन निर्माण कराने के लिए जिला स्तर तक आवाज उठायी जा चुकी है। इसके बावजूद भवन निर्माण नहीं हो पाया है।विभागीय लिपिक जहां काम करते हैं, उसका छत पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने के चलते बारिश में पानी टपकता है। हालात यह हैं कि पुलिसकर्मी मौत के साए में जीने को मजबूर हैं। इधर बुद्धिजीवी लोगों का मानना है कि महागामा अनुमंडल क्षेत्र के दो थाने मेहरमा, ठाकुरगंगटी का अपना निजी भवन नहीं बन पाया है। जिसके कारण मेहरमा थाने के कई पुलिस अफसर पंचायत भवन में रहने को मजबूर है।
क्या कहती हैं थाना प्रभारी
मेहरमा थाना का भवन काफी जर्जर हो चुका है । थाना प्रभारी आवास के अलावा गार्ड रूम एवं कार्यालय काफी जर्जर हो चुका है। देखने से प्रतीत होता है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। नए भवन निर्माण के लिए जिला मुख्यालय को प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है। लॉकडाउन के कारण आगे का कार्य रूका हुआ है।
पल्लवी कुजूर, थाना प्रभारी मेहरमा