रामगढ़ से वली उल्लाह की रिपोर्ट
रामगढ़। झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के एक शिष्टमंडल राजेंद्र शुक्ल के अध्यक्षता में झारखंड सरकार के शिक्षा सचिव के कक्ष में मुलाकात किया । प्रतिनिधिमंडल में अमित कुमार महतो ,उपाध्यक्ष निरंजन कुमार, सचिव उमा चरण शाहू , प्रवक्ता एवं एवं शशिकांत कुमार गुप्ता कार्यकारिणी सदस्य शामिल थे। लगभग एक घंटा तक शिक्षा सचिव महोदय से शिक्षक समस्याओं पर वार्ता हुई । सचिव ने सभी समस्याओं को समाधान करने का आश्वासन दिया। उन्हें शिक्षकों के समस्याओं से संबंधित आवेदन संघ के पत्रांक 59 ,60 और 61 दिनांक 15 सितंबर 2021 दिया गया। जिनका मुख्य बिंदु निम्न प्रकार है:-
1. राज्य के अन्य कर्मियों की तरह MACP का लाभ शिक्षकों को भी दिया जाए।
2. पूर्व में नियु्त शिक्षकों को स्नातक प्रशिक्षित का वेतन उस तिथि से दिया जाए जिस तिथि से स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की सीधी नियुक्ति की गई है।
3. मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक के पद को अक्षुण रखा जाए और इस पद पर अभिलंब प्रोन्नति दी जाए।
4. शिक्षकों के प्रोन्नति हेतु वरीयता सूची बनाना RDDE से अनुमोदन कराना एवं स्थापना समिति से पास कराने हेतु समय सीमा निर्धारित किया जाए , ताकि जैसे ही झारखंड सरकार से प्रोन्नति पर लगी रोक हटते ही तुरंत प्रोन्नति दी जा सके।
5. मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक के पद पर किसी भी परिस्थिति में मध्य विद्यालय के लिए नियुक्त शिक्षकों को ही प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया जाए और वर्ग 9 से 12 के लिए अलग से प्रधानाध्यापक बनाया जाए ।इस प्रकार एक ही कैंपस में चल रहे मध्य विद्यालय के लिए अलग प्रधानाध्यापक एवं प्लस टू विद्यालय के लिए अलग प्रधानाध्यापक की व्यवस्था की जाए।
6. कॉमर्स में नियुक्त शिक्षकों को सामाजिक विज्ञान में माननीय उच्च न्यायालय रांची के आलोक में ग्रेड 4 में प्रोन्नति हेतु सामाजिक विज्ञान विषय में सम्मिलित हेतु आदेश निर्गत किया जाए।
7. किसी भी परिस्थिति में मध्य विद्यालयों की संख्या जो 3500 है। उसे बरकरार रखा जाए क्योंकि 1 से 12 तक के लिए प्रधानाध्यापक का अस्थाई रूप से पत्र निर्गत होने के कारण असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। अतः किसी भी परिस्थिति में मध्य विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय में नियुक्त शिक्षकों को ही बनाया जाए।
8. जिन जिलों में यथा गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा , पूर्वीसिंहभूम जिले के शिक्षकों को 1998 से प्रवरण वेतनमान दिया जाए।
9. निदेशालय सचिवालय एवं झारखंड शिक्षा परियोजना से 3 तरफा निकलने वाले पत्रों पर रोक लगाई जाए और सिर्फ पत्र सचिव स्तर से ही निकाली जाए क्योंकि तीन तरफा पत्र निकलने से शिक्षकों को दायित्व का निर्वहन करने में दिक्कतें होती है।