खूंटी: ये है तोरपा प्रखण्ड स्थित आजीविका दीदी कैन्टीन की दीदियां।दीदी कैन्टीन आरम्भ करने से पूर्व दीदियां महिला संघ द्वारा संचालित जोफ़ा स्वयं सहायता समूह से जुड़कर हफ्ते में मात्र 10-20 रुपया जमा करके अपनी स्थिति बेहतर बनाने का प्रयास किया लेकिन 10 -20 रुपया की छोटी पूंजी से कोई व्यवसाय नहीं कर पाई। तब दीदियां जेएसएलपीएस (JSLPS) की अगुवाई में फ़ास्ट फ़ूड का प्रशिक्षण खूंटी से लिया और 21 जनवरी 2019 से तोरपा में आजीविका दीदी कैंटीन की शुरुवात की। कैंटीन के पहले दिन मात्र 200 रुपया की बिक्री हुई। लेकिन समय के साथ दीदियों ने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ती गयीं। एक दिन प्रखण्ड में खेल का आयोजन किया गया था तब दीदियों ने कैंटीन के लिए 15 हजार का पूंजी निवेश किया और मात्र 4 घण्टे में 37हजार की रुपये की बिक्री हुई। तब उसी दिन से दीदियों के हौसले बुलंद हो गए और उसके बाद आजीविका दीदी किचन की दीदियों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
तोरपा आजीविका दीदी कैंटीन में छह दीदियां जुड़ी हैं। नामलेन लुगुन, सलोमी गुड़िया, कांति तोपनो, जीरेन भेंगरा, हेलेन गुड़िया और मगदली आईन्द। सभी दीदियां सुबह से शाम तक कैंटीन में बखूबी अपना दायित्व निभाती हैं। सुबह के नाश्ता में इडली, गुलगुला, सब्जी, चटनी बनाती हैं। वहीं दोपहर के भोजन के लिए दाल, चावल, सब्जी, पापड़, चटनी, अंडा, मटन, चिकन बनाती हैं। आजीविका दीदी किचन की साफ सफाई और व्यवहार ने लगातार ग्राहकों की संख्या में वृद्धि दर्ज किया है। ग्राहकों को मात्र 40 रुपया में चावल दाल सब्जी परोसी जाती है। ऐसे में आसपास के पुराने होटलों को मात देकर दीदियां लगातार आगे बढ़ती जा रही हैं।
अब ग्राहक भी मानने लगे हैं कि दीदी किचन का खाना दाल सब्जी बेहतर बनता है। मिर्च मसाला और तेल की अधिकता न होने के कारण ग्राहकों को दीदी किचन का स्वाद घर जैसा लगता है। जिन ग्राहकों की आदत दीदी किचन में लंच के समय आने की हो गयी है वे लगातार दोपहर में दीदी किचन का ही रूख करते हैं। दीदी किचन ने छह दीदियों के परिवारों की आर्थिक कमी को दूर करने का राह दिखाई है। अब दीदी किचन से जुड़ी हर दीदियां समयानुसार अपने व्यवसाय के लिए पहुंचती हैं और ससमय नाश्ता, लंच तैयार कर ग्राहकों की सेवा में जुट जाती हैं। तोरपा में स्थित दीदी किचन अब इस इलाके के लिए परिचय का मोहताज नहीं है साथ ही अब दीदियों ने आर्थिक बुलन्दियों की ओर लगातार बढ़ती जा रही हैं।