वर्तमान में उनके पुत्र उक्त विधानसभा का कर रहे हैं प्रतिनिधित्व
पाकुड़ से मुकेश जायसवाल की रिपोर्ट
पाकुड़: लिट्टीपाड़ा विधानसभा झामुमो का गढ़ रहा है यह बात कभी झाूठलाया नहीं जा सका है यदि देखा जाये तो आजादी के बाद से अब तक लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में केवल छह चेहरे ही विधायक चुने गए। 1977 से यह सीट लगातार झामुमो के कब्जे में रही। झामुमो के साइमन मरांडी ने पांच बार और उनकी पत्नी सुशीला हांसदा ने चार बार इस क्षेत्र का बतौर विधायक प्रतिनिधित्व किया है।वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र दिनेश्रा विलियम्स मरांडी अभी झामुमो कोटे से विधायक है। यानी पति-पत्नी ने 40 सालों तक इस सीट पर अपना एकतरफा वर्चस्व कायम रखा। छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत करने वाले साइमन ने पहली बार 1977 में बतौर निर्दलीय मरांग मुर्मू को 149 मतों से हराया था।जानकार बताते हैं कि जब दिशोम गुरू वीर शिबू सोरेन संथाल परगना में अपनी पैठ बनाना चाह रहे थे तो उस समय साईमन मरांडी ने उनका साथ देते हुये झामुमो का झंडा एक तररह से लिट्टीपाड़ा विधानसभा होते हुये पूूरे संथाल परगना में बुंलद किया था।वीर शिबू सोरेन के साथ साईमन मरांडी ने अलग राज्य का आंदेालन में मंहती भूमिका भी अदा किया था। साईमन मरांडी सांसद भी रह चूके हैं उनके सांसद चुने जाने के बाद 1989 में साइमन ने यह सीट अपनी पत्नी सुशीला हांसदा को सौंप दिया। सुशीला इस सीट पर 1990 से 2005 तक लगातार विधायक रहीं। इससे पूर्व इस सीट से रामचरण किस्कू ने तीन बार, सोम मुर्मू दो बार, बी मुर्मू व डाॅ. अनिल मुर्मू ने एक-एक बार प्रतिनिधित्व किया है। वहीं उनके निधन की खबर सुन कर राज्य के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री व पाकुड़ के कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम,राजमहल लोकसभा के सांसद विजय हांसदा,महेशपुर विधायक प्रो0 स्टीफन हांसदा,कांग्रेस के जिला अध्यक्ष उदय लखमानी,भाजपा जिला अध्यक्ष बलराम दुबे,झामुमो के जिला अध्यक्ष श्याम यादव,लोजपा के जिला अध्यक्ष रंजीत सिंह समेत कई समाजिक संगठन के लोगों ने शोक व्यक्त किया।