रांची: अजय राय ने अन्नपूर्णा देवी को देश की शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन को लेकर उनका ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि एक देश एक शिक्षा बोर्ड होगा तो विद्यार्थियों की अंकतालिका में सीबीएसई बोर्ड, आईसीएसई बोर्ड, यू पी बोर्ड, एम पी बोर्ड,बिहार बोर्ड,राजस्थान बोर्ड ,झारखंड बोर्ड आदि के स्थान पर भारतीय शिक्षा बोर्ड/Indian Education Board अंकित होगा। इससे यदि भारत का विद्यार्थी विदेश में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाता है तो उसकी अंक तालिका में इंडियन एजुकेशन बोर्ड अंकित होगा। इससे भारत वर्ष के सरकारी स्कूलो और निजी शिक्षण संस्थानों में एक रूपता प्रदर्शित होगी।
एक देश एक पाठ्यक्रम
भारत वर्ष में प्ले स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु अलग अलग किताबें,पाठ्यक्रम, विषय वस्तु,मनमानी मूल्य, अन गिनत प्रकाशक चल रहे है। पढ़ने वालो को भाषा अलग अलग हो सकती है। बच्चा चाहे गरीब हो या अमीर लेकिन उसे किताब वही पढ़ाई जाए जो एक अन्य भारत के नागरिक को पढ़ाई जाए। स्कूल निजी हो सकता है लेकिन पाठ्यक्रम और विषय वस्तु समान रूप से सभी को समान शिक्षा मिले। विद्यालय सरकारी हो या निजी पाठ्यक्रम और प्रकाशक एन सी ई आर टी नई दिल्ली का ही रहे। पाठ्यक्रम तैयार करते समय राज्यों से विषयवस्तु और महा पुरषों, सामान्य ज्ञान और विज्ञान और तकनीक को मंत्रना करके शामिल किया जा सकता है। विविधता में एकता यानी सभी राज्यों की बात करते हुए एक प्रकाशक एन सी ई आर टी के माध्यम से एक देश एक पाठ्यक्रम आधारित विषय वस्तु पढ़ाया जाए। वही विषय वस्तु तैयार की जाए जो इंटर पास करने के बाद स्ट्रीम वार मेडिकल, इंजीनियरिंग, लॉ की प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के पढ़ना अनिवार्य होता है।
बार बार पाठ्यक्रम बदलने वाला सिस्टम बंद हो। करोड़ी कुंतल रद्दी होती है क्यों कि निजी शिक्षण संस्थानों में हर साल पाठ्यक्रम बदल दिया जाता है। इस पाठ्यक्रम बदलने से निश्चित रूप से हमारा देश महंगी शिक्षा ग्रहण करने के लिए विवश हो रहा है।
अजय राय ने निम्नलिखित मांग उनसे की …
1) एक देश,एक पाठ्यक्रम ,एक शिक्षा बोर्ड का गठन हो और हर राज्य अपने इस पाठ्यक्रम में अपनी क्षेत्रीय भाषा को जोड़कर लागू करें। ताकि देश के हर राज्य का छात्र के लिए भाषा की कोई समस्या ना हो।
(2) देश के सभी स्कूलों में एनसीआरटी किताबों का पाठ्यक्रम अनिवार्य रूप से लागू किया जाय ।
(3) समान शिक्षा नीति, एक देश एक पाठ्यक्रम ,एक शिक्षा बोर्ड के साथ सरकारी गैर सरकारी स्कूलों में शुल्क का निर्धारण केंद्र एवं राज्य सरकार करें ताकि हर गरीब अमीर का भेदभाव खत्म हो । साथ ही स्कूलों के नियंत्रण हेतु केंद्र एवं राज्य स्तर पर आयोग एवम बोर्ड का गठन हो।
(4) जिस तरह बाल आयोग, महिला आयोग ,का गठन होता है उसी तरह “शिक्षा, चिकित्सा “आदि के समस्याओं के समाधान को लेकर भी आयोग का गठन होना चाहिए।
(5) देश के अंदर खेल को बढ़ावा देने को लेकर हर सरकारी गैर सरकारी स्कूलों में इसे अनिवार्य विषय के रूप में रखा जाए।