रामगोपाल जेना
चाईबासा:श्रद्धानंद बालिका मध्य विद्यालय में एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के अंतर्गत सदर प्रखंड के नॉडल शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षक के तौर पर साधन सेवी रूही अख्तर और प्रतिमा कालुंडिया ने नॉडल शिक्षकों को बच्चों में होने वाली एनीमिया के कारण, इनके संकेत व लक्षण, हिमोग्लोबिन का स्तर,आयरन युक्त आहार आदि की जानकारी दी। बताया गया कि स्कूल में पंजीकृत 5 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों को आयरन फोलिक एसिड की गुलाबी रंग की गोलियां और 10 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों को नीली गोलियां भोजन करने के बाद खिलाना है। जानकारी दिया गया कि भोज्य पदार्थों में आयरन की कमी,शरीर द्वारा आयरन का कम अवशोषण होना,शरीर में लगातार रक्तस्राव,पेट में कीड़े, विटामिन बी-12 की कमी,फोलिक एसिड की कमी, विटामिन सी की कमी आदि के कारण एनीमिया से ग्रसित हो सकते हैं। एनीमिया के लक्षण के रूप में नाखून,जीभ,हथेली और आंखों की लालिमा में कमी, सांस फूलना,थकावट,घबराहट, चक्कर आना, ध्यान में कमी,बार -बार बीमार पड़ना आदि देखा जा सकता है। एनीमिया के कारण आयु के अनुसार शारीरिक एवं मानसिक वृद्धि न होना या रूक जाना, माहवारी का देर से शुरू होना एवं मातृ व शिशु मृत्यु जैसे दीर्घ कालिक प्रभाव पड़ता है। बताया गया कि एनीमिया की दवा चबाकर नहीं खाना है, बल्कि से स्वच्छ पानी के साथ निगलना है। शिक्षकों को बताया गया कि किशोर किशोरियों को एनीमिया से बचाव के लिए संतुलित आहार, फाइबरयुक्त भोजन जैसे:-फल, सब्जियां, दालें,अनाज खाने के लिए प्रेरित करें। बच्चों को आयरन की गोलियां खिलाने के बाद विभाग को अवश्य रिपोर्ट करने की बात कही गई ताकि एनीमिया मुक्त कार्यक्रम का सही आकलन हो सके। प्रशिक्षण में कृष्णा देवगम,बिनोद कुमार सिंह,सुरेश सुरीन, मालती सिंकू, मुक्ति रानी सावैयां, रंजीत सिंह, उर्मिला देवी, नेल्सन नगेसिया,लीली बेक,सतीश देवगम, सुमित्रा पूर्ति, हरिशंकर प्रसाद,मेचो कालुंडिया,कमल किशोर गोप, रोशनी कन्डुलना, फूलमती सावैयां,सीता माई सावैयां,अनीता देवगम,एलिजाबेथ केरकेट्टा आदि शिक्षक शिक्षिकाएं शामिल थे।