बोकारो: आज बोकारो स्टील सिटी काॅलेज के मनोविज्ञान विभाग में संगोष्ठी का आयोजन किया। इसका विषय था बाल अधिकारो। संगोष्ठी में क्लास 12 एवं क्लास 11 की सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की समाप्ति के बाद विद्यार्थियों को बाल अधिकारों के प्रति सजग किया गया । इस संगोष्ठी में इंटरमीडिएट के छात्र छात्राओं के अतिरिक्त डिग्री के विद्यार्थियों ने भी सहभागिता दिखलाई ।
विभाग के शिक्षक डॉ प्रभाकर कुमार मनोवैज्ञानिक सह बाल अधिकार कार्यकर्ता ने बच्चे को परिभाषित करते हुए बाल अधिकारों के चारो प्रकारों पर सविस्तार चर्चा की । समाज में घटित बाल मुद्दे पर परिचर्चा भी किये । लिंग भेद , लिंग असमानता , भूर्ण हत्या , बढ़ती बाल उत्पीड़न Child Abuse की घटनाओं , प्रकारों पर , बाल विवाह , बाल श्रम , बाल दुर्व्यवहार , बाल दुर्व्यापार , बाल विवाह के नाम पर मानव तस्करी , किशोर न्याय अधिनियम , विकास के अधिकार को परिभाषित करते हुए लड़कियों में भेदभाव न घर में हो अच्छा भोजन संतुलित भोजन आदि मिले , पोक्सो कानून , सुरक्षित स्पर्श असुरक्षित स्पर्श , बच्चों के संकट कालीन टॉल फ्री नो 1098 , बच्चों के सहायतार्थ पुलिस की भूमिका व जवाबदेही , जिले के बच्चों के हितधारकों , बाल कानून आदि मुद्दे पर प्रकाश डाला ।
डॉ प्रभाकर कुमार ने कहा कि बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा में उनके माता पिता अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि बच्चे माता पिता पर निर्भर । सुरक्षा अधिकारों की रक्षा की सुनिश्चितता हेतु अभिभावकों की पहल बढ़ चढ़ कर हो । बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता कर ही राष्ट्र को सशक्त बनाया जा सकता है । बच्चे देश के अमूल्य संपति अतः इनका पोषण व अभिवर्द्धन सही तरीके से करने की जरूरत । पीडोफिलिया व पाराफिलिया मानसिकता को मनोवैज्ञानिक रूप से समझाया गया । अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर बच्चे आत्मकल्याण के रास्ते पर प्रशस्त हो सकते हैं ।
इतिहास विभाग से डॉ वीणा शर्मा ने कहा कि लड़कियों को डरने की जरूरत नही है । पूरी निर्भय होकर , सरकार के सभी सुविधाओं की अद्यतन जानकारी के साथ , बाल अधिकारों , मानव अधिकारों के साथ बढ़ने की जरूरत और अपने ज्ञान को और भी परिमार्जित करते रहें और सदैव आगे बढ़ते रहें । लड़कियां , महिलाएं जीवन के सभी छेत्रो मे सफल हैं । विद्यार्थी जीवन में जितनी जानकारियां मिल जाये , उतना अच्छा है व उपयोगी है ।
संगोष्ठी में , बाल अधिकारों , बाल कानून की जानकारी , जिले में घटने वाली घटनाओं की जानकारी मिलने से विद्यार्थियों के मन मस्तिष्क की पट्टी खुली । सुरक्षित स्पर्श असुरक्षित स्पर्श , तरह तरह के उत्पीड़न मे 80 % जानने वाले ही संलग्न , किसी तरह के उत्पीड़न होने पर 1098 पर सूचना , अनुशासन के नाम पर घर व स्कूलों में कोरपोरल पनिशमेंट की सविस्तार जानकारी , बच्चों को न शारीरिक यातना , न भावनात्मक , न मानसिक दी जा सकती है आदि जानकारियां उपलब्ध हो पायी । अभी सर्वाधिक बाल उत्पीड़न की घटना कई रूपों में व्याप्त अतः बाल अधिकारों की समुचित जानकारी मिलना विद्यार्थियों के लिये काफी कारगर ।
आज के संगोष्ठी में Inter 11 , 12 , डिग्री के विद्यार्थियों की उपस्थिति रही ।