रांची: मुझे आज राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड) के 38वें स्थापना दिवस समारोह में सम्मलित होकर अपार प्रसन्नता हो रही है। नाबार्ड कृषि और लघु उद्योग, कुटीर और ग्रामीण उद्योग, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्प तथा ग्रामीण क्षेत्रों में Integrated Rural Development vkSj Prosperity सुनिश्चत करता है। इसका देश के विकास में अहम् योगदान है। वर्ष 2018 में संसद द्वारा नाबार्ड अधिनियम में संशोधन कर नाबार्ड की प्रामाणिक पूंजी को भारत सरकार ने बढ़ाकर 30 हजार करोड़ रुपये कर दिया है जिससे इस संस्था के प्रमुख कार्य कृषि और ग्रामीण विकास में लाखों गरीब लघु और सीमांत किसानों, आदिवासी और ग्रामीण महिलाओं की सहायता हो सकेगी।
हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। महात्मा गांधी जी ने कहा था कि भारत की संस्कृति, कृषक संस्कृति है। भारतीय किसान का जीवन संघर्षपूर्ण होता है। जब तक भारत का किसान सम्पन्न नहीं होगा तब तक भारत वास्तव में प्रगति नहीं कर पायेगा।
भारत के किसान को आत्मनिर्भर बनाना होगा। यह जिम्मेदारी सरकार के साथ अन्य सभी संस्थाओं की है कि वे कृषकों की समस्याओं का समाधान करें। झारखण्ड में देश का 40 प्रतिशत खनिज है परन्तु यहां की 70 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है इसलिये कृषि विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिये। कृषि के विकास से राज्य में गरीबी, कुपोषण, पलायन, बेरोजगारी जैसे बुनियादी समस्याओं का हम निदान कर सकते हैं। हमारे राज्य झारखंड की खेती मुख्यतः वर्षा पर आश्रित है, लेकिन पठारी भू-भाग होने के कारण वर्षा जल का कृषि कार्य में समुचित उपयोग नहीं हो पाता है। किसानों को उपज का पर्याप्त बाजार नहीं मिल पाना भी एक अहम समस्या है। वर्शा जल संचयन के लिए लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है।