बसंत कुमार गुप्ता
गुमला: बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा ने सरकार के नुमाइंदों पर ,बड़ा बाबूओं पर बड़ा आरोप लगाया है ।उन्होंने पत्रकारों को बताया कि सरकार के भू राजस्व विभाग के बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से रांची रेकड रूम से एम फार्म गायब कर दिया गया है ।जिससे जमीन संबंधी मामले की निपटारे में सभी जगह परेशानियों हो रही है।जमीन विवाद के कारण ग्रामीण आपस मे ही लड़ रहे है। विधायक श्री लिंडा ने बताया कि देश के आजादी के बाद पहली बार संविधान संशोधन 16 मई 1951 में किया गया। जिसके बाद जमीदारी उन्मूलन कानून बना। जिसके हिसाब से प्रत्येक राज्य को लैंड इंफॉर्मेशन एक्ट बनाना था। उसी समय सरकार ने जमींदारों से प्रस्ताव मांगा की किन-किन जमीन आपको चाहिए ।उसका खाता प्लॉट रकब का मांग किया गया ।इसके बाद कलेक्टर ने वाद चलाया। फिर उन प्रस्तावित जमीन का रेट फिक्सेशन किया गया ।इसे एम फार्म में दर्ज किया गया। शेष कुल जमीन का सालाना लगान का 8% के हिसाब से सरकार के द्वारा जमींदारों को राशि मुहैया कराया गया।जमीन के बदले जमींदारों ने पर्याप्त धन पाया। इसके बाद सरकार ने सारा प्राइवेट लैंड का अधिग्रहण कर लिया। इसके तहत मझियस बकाश्त मालिके गैरमजरूआ मालिक आदि जमीन आता है। सरकार ने जिस जमीन का मूल्य जमींदारों को चुका कर जमीन अधिग्रहण कर लिया आज उन्हीं जमीनों को जमींदारों के द्वारा एग्रीमेंट कराकर फर्जी तरीके से बेचा जा रहा है। इसलिए जमीन विवाद प्राय सभी गांव में देखने को मिल रहा है ।एम फार्म के जरिए ही ज्ञात हो सकता है कि कौन सा जमीन अंचल निर्गत नहीं कर सकता है ।तथा कौन जमीन का रेट फिक्सेशन कर दिया गया है। परंतु रांची रिकार्ड रूम से एम फार्म को छुपा दिया गया है। जो सरासर गलत है ।विधायक ने बिभागीय कर्मियों पर एम फार्म को छुपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एम फार्म को छुपाकर जमीन माफिया के द्वारा अंचल में रिश्वत देकर गैरकानूनी तरीके से जमीन बेचा जा रहा है। मैंने भी कई जमीन का एम फार्म की मांग की तो पदाधिकारियों के द्वारा केवल टालमटोल किया गया ।उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री ,मुख्य सचिव एवं भूराजस्व सचिव को पत्र लिखकर सारी स्थिति से अवगत करा दिया गया है ।ताकि इस पर सरकार उचित फैसला ले ।उन्होंने सरकार को दिए मांग पत्र में उल्लेख किया है कि आम जनता के हित में जिस तरह खतियान और रसीद ऑनलाइन किया जा रहा है। उसी प्रकार प्रत्येक जमींदारी जमीन का एम फार्म को ऑनलाइन किया जाए। इधर गुमला जिला मजदूर यूनियन संगठन सीएफटीयूआई के अध्यक्ष जुम्मन खान ने अवैध रूप से हो रहे गुमला जिले में बालू और पत्थर के अवैध उत्खनन पर रोक लगाने का मांग किया है।इसके साथ ही भू माफियाओं पर भी शिकंजा कसने के लिए आवश्यक कार्रवाई तथा प्रशासनिक पहल करने का मांग किया गया है।उन्होंने कहा है कि गुमला जिले में आदिवासियों के हक और अधिकार का हनन हो रहा है इस पर जिला प्रशासन का कतई भी ध्यान नहीं है।