खूंटी: झारखंड में जिस भगवान के नाम पर सियासतें होती हैं। सरकारें बनती बिगड़ती है उसी भगवान बिरसा का गांव आज भी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। भगवान ने जिस जगह जन्म लिया वहां अरसा बीत जाने के बाद भी सरकारों ने कुछ नही किया। पगडंडियों से पक्की सड़के तो बन गई लेकिन जो बुनियादी जरूरते होती है शहीद के नाम पर वो कुछ नही मिला।
वर्ष 1900 के जनवरी माह में भगवान बिरसा मुंडा और उनके अनुयायी जब अग्रेजों के खिलाफ जल ,जंगल और जमीन की रक्षा और आदिवासियों के दमन के खिलाफ बैठक कर रहे थे तो अचानक तत्कालीन कमिश्नर के आदेश पर गोलीबारी शुरू कर दी जिसमे सैकड़ों आदिवासी मुण्डा मारे गए। बाद में भगवान बिरसा मुंडा अंग्रेजों की हिटलिस्ट में आ गए और अंग्रेजों ने बाद में गिरफ्तार कर रांची जेल भेज दिया। रांची जेल में ही भगवान बिरसा की मौत हो गई थी।
प्रत्येक वर्ष 9 जून को बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि में उलिहातू तथा खूंटी में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
झारखण्ड को बने लगभग 21 साल होने को है लेकिन सरकार का आश्वासन अभी तक बिरसा की धरती तक नहीं पहुँच पाई है। भगवान बिरसा मुंडा के शहादत दिवस पर शहीद के वंशजो की जुबानी सुने क्या कहते हैं। बिरसा के वंशज व ग्रामीणो ने भी बताया कि आदर्श ग्राम बनाने की योजना में अब तक पक्का मकान बनाने की शुरुवात की गई है। सरकार ने उलिहातू के लिए भले ही कुछ न किया हो लेकिन भगवान के वंशजो को आज भी सरकार पर उम्मीद है। कहते है यहां न ही सिस्टम पहुंचता है और न ही सिस्टम के रखवाले, ऐसे में उम्मीद भी करे तो किससे। वंशज सुखराम मुंडा कहते है कि जल्द ही सीएम हेमन्त से मिलकर उलिहातू की समस्याओं से अवगत करवाएंगे और उनसे उलिहातू के लिए पानी, बिजली, शिक्षा और रोजगार की मांग करेंगे। रोजगार नही मिलने के कारण वंशजो के अलावा यहां के ग्रामीण दूसरे राज्यों में जाकर काम करने को मजबूर है। रही पानी की समस्या तो सरकार ने भले ही पक्की मकान बनाने के लिए कह दिया हो लेकिन हमारी मांगो के अनुसार मकान नही बन रहा। मांगा था 15×12 दे दिया उससे भी कम। रहेंगे कैसे। रही घर बनाने की बात तो पीने को पानी नही है तो घर कैसे बनाएंगे। उलिहातू के ग्रामीण पीएम आवास के कमरों का स्वरूप बड़ा चाहते थे लेकिन सरकारी प्रावधानों के मुताबिक उलिहातू में भी अब सरकारी मानकों के मुताबिक एकसमान आवास का निर्माण आरम्भ कर दिया गया है। पक्का मकान बनने से उलिहातू में आदर्श ग्राम विकास योजना का कार्य पूर्ण होगा और शायद एक साथ 60-70 पक्के मकान बनेंगे तो उलिहातू गांव की सूरत और सीरत दोनों बदलेगी।
वहीं दूसरी तरफ उलिहातू में पेयजल संकट से निजात दिलाने का प्रयास जिला प्रशासन लगातार करती रही लेकिन बेहतर जलस्रोत के नहीं मिलने से आज भी पेयजल के लिए ग्रामीणों को चुंआ पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। हालांकि गांव में बिजली और स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचायी गयी हैं लेकिन बिरसा की जन्मस्थली के नाम पर बनी बिरसा ओड़ा में लगे सोलर संचालित लाइट खराब पड़े हैं।
ग्रामीण कहते हैं कि उलिहातू में 15 नवंबर, 9 जून और डुम्बारी में 9 जनवरी को भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर आयोजित कार्यक्रमों में प्रत्येक वर्ष मंत्री, सांसद या विधायक पहुंचते है, सत्ता पर आसीन केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लोग कई आश्वासन दे जाते हैं लेकिन धरातल पर योजनाएं शत-प्रतिशत पूर्ण नहीं हो पाती हैं। उलिहातू के ग्रामीण मानते हैं कि प्रत्येक वर्ष बुनियादी सुविधाओं की बात करते करते थक गए लेकिन उम्मीद करना नहीं छोड़ा है। शायद 2021 के अंत तक आदर्श ग्राम योजना के तहत बन रहे पक्के मकानों का सपना पूरा होगा। उलिहातू में बुनियादी सुविधाएं पहुंचेंगी तभी भगवान बिरसा मुंडा को उनकी पुण्यतिथि पर सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकेगी।