रांची: अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव सह अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति झारखंड के संयोजक महेंद्र पाठक, अखिल भारतीय किसान महासभा के सचिव पूरण महतो, झारखंड राज्य किसान सभा के महासचिव सुरजीत सिन्हा ,किसान संग्राम समिति के अध्यक्ष राजेंद्र गोप , अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के महासचिव पसुपती कोल ,खेत मजदूर यूनियन के सचिव कन्हाई माल पहाड़िया आदि कई नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि, केंद्र सरकार के 7 साल के कुशासन में सबसे ज्यादा शिकार देश के किसान हुए हैं। लगातार किसान आत्महत्या कर रहे हैं। लोगों की मौत आर्थिक तंगी से हो रहा है । कोरोना काल में भी उनके फसल की लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है । कूड़े के भाव में उनके उत्पादन के फल एवं सब्जी अनाज बिक रहा है । जिससे काफी लोग नाराज हैं । दिल्ली में चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन के 6 माह 26 मई को पूरे होंगे। देश के 500 से अधिक किसान संगठनों, दर्जनों श्रमिक संगठनों ,18 राजनीतिक दलों ने अखिल भारतीय विरोध दिवस को समर्थन किया है। किसान मजदूर वर्ग के लोग अपने अपने घरों में काले झंडे ,मुंह पर काले पट्टी ,खेत खलिहान में काले झंडे ,काले बिल्ले लगाकर ,मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करेंगे। किसान विरोधी तीनों काला कानून को निरस्त करने ,एमएसपी के लिए कानून बनाने ,बिजली बिल 2020 को वापस लेने ,स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने, सभी जरूरतमंद लोगों को घर घर में आवश्यक राशन की सामग्री उपलब्ध कराने ,सभी लोगों को मुफ्त में वैक्सीन की व्यवस्था करने ,आदि कई मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाया जाएगा। महेंद्र पाठक ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार की हठधर्मिता के कारण 500 से अधिक किसान आंदोलन में शहीद हो गए ,देश के प्रधानमंत्री घड़ियाली आंसू बहा कर लोगों के बीच इमोशनल ड्रामा कर रहे हैं । देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई, सरकार की विफलता कोरोना का काल में साफ दिखाई पड़ा, इसीलिए किसान मजदूर आंदोलन को और तेज करने के लिए गांव-गांव घर-घर में अभियान चलाकर अखिल भारतीय विरोध दिवस को सफल बनाया जाएगा ।