विचार
21 वी शदी मे हम भले जी रहे हैं फिर भी कई कुरीतियां समाज में आज भी प्रचलित हैं जिनमें से एक बाल विवाह भी है । बाल विवाह से बाल अधिकारों के सरंक्षण मे परेशानी आती है । बाल विवाह बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर देता है , हिंसा से मुक्ति हेतु शिक्षा एक अनिवार्यता है , कम आयु में विवाह करने से लड़कियां अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित हो जाती है । बाल विवाह पर पूर्ण रूप से रोक है यद्यपि बाल विवाह समाज में प्रचलित है , चाहे बाल अधिकारों के ज्ञान की कमी कह दी जाये या बाल कानूनों के अद्यतन सूचना की कमी । बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत महिलाओं व पुरूषों के लिये विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष एवं 21 वर्ष निर्धारित की गयी है ।
विश्व में बाल विवाह हो रहे हैं जिसमें भारत दूसरे स्थान पर है । भारत में विश्व के 40 % बाल विवाह हो रहे हैं , भारत में 49 % लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु पूर्व हो जाती है । केरल जहां सर्वाधिक शिक्षा दर है यहाँ सबसे अधिक बाल विवाह प्रचलन में है । संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपात निधि ( यूनिसेफ ) की रिपोर्ट के अनुसार , भारत के ग्रामीण छेत्रों मे नगरीय छेत्रों से अधिक बाल विवाह होते हैं । आंकड़ों के अनुसार बिहार में सर्वाधिक 68 % बाल विवाह की घटनाएं तो हिमाचल प्रदेश में सबसे कम 9 % बाल विवाह हो रहे हैं । झारखंड राज्य में भी बाल विवाह लगातार होते रहे हैं । लॉक डाउन समयावधि मे भी बाल विवाह की घटनाएं होती रही । इन दिनों दलाल ग्रामीण इलाकों से माता पिता अभिभावकों समुदाय के लोगों को बाल विवाह के नाम पर मानव तस्करी को भी अंजाम दे रहे हैं ।
बाल विवाह की प्रथा भारत में आदि काल से नहीं थी । ये दिल्ली सल्तनत के समय अस्तित्व में आयी जब राजशाही प्रथा प्रचलन में थी । भारतीय बाल विवाह करके लड़कियों को विदेशी शासकों से बलात्कार व अपहरण से बचाने हेतु एक हथियार के रूप में प्रयोग करते थे । साथ ही बड़े बुजुर्ग अपने पोतों की चाह में कम उम्र में बच्चों की विवाह कर दिया करते थे । इन्ही कारणों से बाल विवाह की बीज का निर्माण हुआ
बाल विवाह के कई दुष्परिणाम सामने आते हैं जिनमें गर्भवती होने पर माता के मृत्यु दर मे वृद्धि , शिशु मृत्यु दर में वृद्धि , दिव्यांग बच्चे का जन्म होने की संभावना , खून की कमी , कुपोषित बच्चे के जन्म की संभावना , महिला हिंसा , शारीरिक व मानसिक विकास अवरुद्ध , पढ़ाई पोषण व्यक्तित्व विकास अवरुद्ध , बाल अधिकारों से वंचित , एच आई वी जैसे यौन संक्रमण का खतरा , जिम्मेदारियों का पूर्ण निर्वहन मे कमी , बचपना खत्म , गर्भावस्था व प्रसव के दौरान गंभीर समस्या , बुनियादी शिक्षा व आत्मनिर्भर होने के पर्याप्त संभावना अवरुद्ध हो जाती है ।
बाल विवाह के कारणों मे मुख्य रूप से लिंग भेद व असमानता , लड़का लड़की मे अंतर जैसी पूर्वाग्रह मानसिकता , दहेज प्रथा , लड़कियों को बोझ समझना , माता पिता की गरीबी निर्धनता , लड़की को बेच देना , शिक्षा का अभाव , अंधविश्वास , माता पिता का अनपढ़ होना व अज्ञानता , बच्चों के अधिकारों व बच्चों के कानून के ज्ञान का अभाव , बाल विवाह से होने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी का अभाव , बच्चों के संकट कालीन टॉल फ्री नो 1098 का अभाव , सरकारी सुविधाओं की जानकारी का अभाव , बच्चों के साथ होने वाले यातनाओं की अद्यतन जानकारी के अभाव आदि के कारण होती है ।
बाल विवाह रोकने के उपायों में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की अद्यतन जानकारी , माता पिता अभिभावकों को इस बात की जानकारी की बाल विवाह करवाना , इसमें शामिल सभी लोगों को कानूनन दंड का प्रावधान , विवाह में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले को भी दंड , विवाह में शरीक सभी पक्षों पर कानूनी कारवाई का प्रावधान , बाल विवाह पूर्णतः अवैध , वयस्क लड़के जिसने विवाह किया है कानूनन किशोर न्याय अधिनियम के तहत कानूनी दंड , समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य , लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया की सक्रिय भागीदारी , शिक्षा का प्रसार , बच्चों के सहायतार्थ टॉल फ्री नो 1098 की जानकारी , गरीबी उन्मूलन , बाल अधिकारों की जानकारी बच्चों समेत माता पिता अभिभावकों समुदायों तक , बाल विवाह के दुष्प्रभाव की जानकारी बच्चों समेत माता पिता तक , लड़कियां बोझ नहीं बल्कि उन्हें भी आत्मनिर्भर पुष्पित पल्लवित होने का मौका दें , 18 वर्ष से कम उम्र में महिलाओं व 21 वर्ष से कम उम्र में पुरुषों की विवाह न किये जायें । जिले के सभी प्रखंडों के सभी गांवों तक बाल अधिकार सरंक्षण जागरूकता अभियान व्यापक स्तर पर चलाया जाए व समाज को समृद्ध करने का भरसक प्रयास किये जायें ।
बाल विवाह एक कुरीति के रूप में समाज में व्याप्त । बाल अधिकार कार्यकर्ता के साथ साथ शिक्षक वर्ग को भी इस महंती कार्य मे आगे आने की जरूरत है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा को विभिन्न आदर्शों के साथ समावेश कर समाज को भी आदर्शवादी धारा में ले जाने में शिक्षकों को समग्रता के साथ सामाजिक व्यवस्था में अपनी भूमिका का वर्णन किया है । बच्चे किसी राष्ट्र के अमूल्य निधि हैं अतः बच्चों का पोषण विकास संपूर्णता समग्रता में हो इसके लिये बाल विवाह मुक्त समाज की संस्थापना भारत में करनी होगी । जागरूकता अभियान से हम सभी बाल विवाह मुक्त समाज निर्माण की शंखनाद कर सकते हैं ।
डॉ प्रभाकर कुमार
सहायक प्राध्यापक
मनोविज्ञान विभाग
बोकारो स्टील सिटी कॉलेज , बोकारो