रामगढ़: गिरधारी राम गौंझू को श्रद्धांजलि पेश करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सह पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ,सहायक सचीव महेंद्र पाठक क्षेत्रीय एवं खोरठा भाषा के विद्वान डॉक्टर बी एन ओहदार ने कहा कि डा .बी पी केसरी एवं डॉ रामदयाल मुंडा के बाद डॉ गौंझू झारखंड साहित्य संस्कृति के सच्चे वाहक थे, उनका असमय चले जाना दुखदाई है, डॉक्टर बी एन ओहदार ने कहा कि डॉक्टर गिरधारी राम जी रांची विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय एवं नागपुरी भाषा के h.o.d. थे और वर्षों साथ में रहकर विद्यालय में कार्य किए हैं । हमने अपने एक अभिभावक और एक सच्चे साथी को खो दिया है, गौंझू जी सही मायने में झारखंड माटी के लाल थे ,जो साहित्य कला राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय थे, उन्होंने अनेक किताब की रचना की उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई है ,जिसकी भरपाई मुश्किल है , वे झारखंडी साहित्य संस्कृति भाषा नाटक को ऊंचाई तक पहुंचाए, वास्तव में वे झारखंडी संस्कृति के पुरोधा थे । उनका निधन असहनीय है और हमारे स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा करता है की हम उन्हें एक बेड तक उपलब्ध नहीं करा सके, श्री मेहता ने कहा कि डॉक्टर गिरधारी राम गौंझू अपने आप में एक शोध संस्थान थे, झारखंडी भाषा साहित्य, नृत्य नाटक ,अखरा के ज्ञानी थे, सभी के लिए सरल और सुलभ भी थे, श्री मेहता ने कहा अलग झारखंड राज्य संघर्ष समिति जो चालीस संगठनों के साथ मिलाकर बड़े आंदोलन अलग राज्य के लिए चल रहा था, उन्होंने हमारे साथ मिलकर भी काम किया, राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा चुकी है, राज्य के ऐसे प्रतिष्ठित एवं विद्वान जो अपने संघर्ष के बल पर पहचान बनाया, आज उन्हें अस्पतालों में बेड के लिए चक्कर लगाते हुए बगैर इलाज के जान गवानी पड़ी ,सरकार को कोरोना के इलाज के लिए 1 साल का समय कम नहीं था, आज इलाज के बगैर लोग मर रहे हैं ,तो दूसरी तरफ आर्थिक तंगी से भी मर रहे हैं, सरकार संवेदनशील नहीं हो रही है ,राज्य सरकार को इसकी जांच करा कर कार्रवाई करनी चाहिए, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी झारखंड राज्य परिषद श्रद्धांजलि अर्पित करती है और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करती है।