संवाददाता बरही
बरही (हजारीबाग): मनुष्य के जीवन में हर वक्त उसके सामने एक नई चुनौती आती रहती है। सफलता प्राप्त करने के लिए मानव उन चुनौतियों से अपने स्तर पर जूझता रहता है। अपने जीवन के सुखद व दुखद अनुभव के आधार पर वह अपनी समस्याओं का निदान करने की कोशिश करता है। इस प्रकार के हालात में वह सफलता प्राप्त करता है या असफलता का स्वाद चखता है। कभी-कभी तो उन समस्याओं से लड़ने का कोई अनुभव ना होने के कारण उसे निराशा ही हाथ लगती है। परंतु यदि मनुष्य अपने जीवन में आने वाली समस्याओं के बारे में पूर्व तैयारी करें साथ ही उस विषय पर क्रिटिकल थिंकिंग करें तो परिणाम बेहतर आएंगे। उक्त बातें डीएवी पब्लिक स्कूल के प्राचार्य अशोक कुमार सिंह ने कही। वहीं उन्होंने कहा कि क्रिटिकल थिंकिंग मनुष्य की छवि को एक सुलझे इंसान के रूप में प्रस्तुत करने में भी सहायक सिद्ध होता है। क्रिटिकल थिंकिंग सिर्फ स्कूली जीवन में ही नहीं बल्कि आगे चलकर निजी व प्रोफेशनल जीवन में भी बेहतर तरीके से काम आता है। क्रिटिकल थिंकिंग को बच्चों में उत्पन्न करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रश्न निर्माण की प्रक्रिया एवं छात्रों को समझ आ सकने वाले प्रश्नों के प्रारूप से हो सकती है। छात्रों के समझ को विकसित करके समस्या के निदान में क्रिटिकल थिंकिंग सहायक होता है। बच्चों को समस्या आधारित प्रश्नों के बारे में बता कर। शिक्षक अद्यतन होने वाले बदलाव से परिचित होकर तथा नई-नई तकनीकों के उपयोग से बच्चों के अंदर विश्लेषणात्मक सोच पैदा करते हुए कर सकते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी भारत सरकार ने क्रिटिकल थिंकिंग के ऊपर जोर दिया है, क्योंकि बच्चों के मनोवैज्ञानिक स्तर को विकसित करने के लिए यह अति आवश्यक माना गया है।