दो पारस निजी अस्पताल में एक डेथ बॉडी पॉजिटिव मरीज का कोविड अस्पताल में एवं तीन कोविड अस्पताल में लाया
जामताड़ा से राजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
जामताड़ा : यूॅ तो डाक्टरों को ही अभी भगवान कहा जा रहा है। जिला से लेकर राज्य तथा पुरे देश में कोरोना से जंग जारी है। कोविड.19 संक्रमण के दूसरी लहर के कहर का रफ्तार कम नहीं हो रहा है। एक ओर संकमण का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है तो दूसरी ओर संक्रमण से मौत का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। हालांकि राहत की बात यह भी है कि संक्रमित मरीज स्वस्थ्य भी हो रहें हैं। वर्तमान में जामताड़ा जिला में 981 एक्टिव केस है। अब तक 36 लोगों की जान संक्रमण के चपेट में आने से चली गई है। यह सिर्फ 25 दिनों में हुआ है। वहीं 64 लोग अभी भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर है और 4 का आईसीयू में इलाज किया जा रहा है। आज पॉजिटिव मरीजों की संख्यॉ 88 हुई। वहीं डिस्चार्ज यानी ठीक हुए 210 मरीज एक्टिव केस जिला में 981 हो गया है।
संक्रमण से मरने वाले कुल 36 में 26 जामताड़ा जिला केए दो दुमका और तीन देवघर और धनबाद के एक मरीज शामिल हैं। जामताड़ा जिला में कोरोनावायरस संक्रमण का प्रसार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। एक ओर जहां संक्रमित मरीजों की संख्या दिन.प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी ओर संक्रमित मरीज अपनी जान भी गंवा रहें हैं। बीते 11 अप्रैल के बाद से कोविड अस्पताल उदलबनी में मौत का सिलसिला शुरू हुआ जो थमने का नाम नहीं ले रहा है। 5 मई तक कुल 36 संक्रमित मरीजों ने अपनी जान गंवा दी है। जिसमें दो अलग.अलग हिंदी अखबार के ब्यूरो चीफ पारा शिक्षक शिक्षक सीआरपी व राजनीतिक दल से जुड़े कार्यकर्ता का भी नाम शामिल है।
लगातार बढ़ते संक्रमण और मौत से प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग चिंतित
लगातार बढ़ रहे मौत के मामले को देखते हुए प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित है। कोविड टास्क फोर्स की बैठक हो या फिर जिला आपदा प्रबंधन की बैठक सभी में गहन मंथन और मृतक के केस हिस्ट्री को देखकर एक बात सामने आई है कि संक्रमित मरीज या तो डॉक्टर या फिर कोविड अस्पताल से संपर्क करने में बिलंब कर रहें है या अपने पुराने केस हिस्ट्री की जानकारी नहीं दे पाते है।
क्या कहते हैं जिला महामारी पदाधिकारी
डॉ अजीत कुमार दुबे ने बताया कि हमारे कैजुएल्टी हुआ है उसमें संसाधन या व्यवस्था की कमी के कारण नहीं है। मरीज का एसपीओटू स्तर काफी गिर जाने के बाद अस्पताल लाया गया था। लेकिन हमारे यहां से कई मरीज जो समय पर अस्पताल पहुंचे है वे स्वस्थ्य होकर गए है। जिसमें युवा से बुजुर्ग तक शामिल है। संक्रमित मरीज जो होम आइसोलेशन में है उन्हें सांस की जरा सी भी तकलीफ होती है तो वे तत्काल चिकित्सक या कोविड अस्पताल से संपर्क करें।
निजी अस्पतालों पर ज्यादा भरोसा के कारण मौत का ग्राफ बढ़ रहा है। इन दिनों निजी अस्पतालों के कुछ दलाल टाइप के लोग अक्सर सोशल मीडिया से लेकर अन्य माध्यमों से निजी अस्पतालों के चिकित्सकों एवं उसके व्यवस्था को बढ़ा चढ़ाकर लिखने एवं बोलने के कारण कोविड अस्पताल के बजाय निजी अस्पतालों की और रूख कर रहे हैं। जब मरीज से पैसा वसूल कर उसके शरीर से वायरस को निकालने में असफल हो जाते हैं तो वैषे मरीजों को अंतिम समय में परिजनों से कहकर कोविड अस्पताल भेज दिया जाता है।
निजी अस्पताल में रेंडिसिवर इंजेक्षन 25 हजार में मरीजों को उपलब्ध कराया जा रहा है। हलॉकि उक्त इंजेक्षन का डिमांड अधीक रहने के कारण बाजार में शाॅर्टेज हो गया है। वहीं उस इंजेक्षन को देने मात्र से मरीज के शरीर से वॉयरस कमना प्रारंभ हो जाता है। हलॉंकि उक्त इंजेक्षन को मरीज तभी अपने शरीर में ले सकता है। अगर उसके शरीर में इम्युनिटी पावर बढ़ा हुआ रहेगा। वहीं अगर मरीज के शरीर में इम्यूनिटी पावर नहीं बचा है तो वैषे इंजेक्षन देने से प्राणधातक साबित हो सकता है। निजी अस्पताल में एक एक बेड का सात हजार रूपया वसूला जा रहा है। वहीं आइसीयू में रहने का अलग चार्ज है। वैषे जिला प्रशसन द्वारा दो वेंटिलेशन भी निजी अस्पताल को उपलब्ध करा दिया गया है। जिसका व्यवसायिक उपयोग हो रहा है।