रांची: झारखंड राज्य में कार्यरत पारा शिक्षक शिक्षा मंत्री के आगमन से काफी खुश हैं परंतु मंत्री के आने के बाद भी सरकार के द्वारा पारा शिक्षकों का स्थायीकरण वेतनमान को लेकर आगे न बढ़ पाने से काफी दुखी है. ज्ञात हो विगत वर्षों में राज्य में निरंतर पारा शिक्षकों की मौत हो रही है परंतु सरकार के द्वारा उनके परिजनों को 1 भी नहीं मिल पाता है. आज राज्य के पारा शिक्षक विगत 20 वर्षों से सेवारत है. प्रतिवर्ष आंदोलनरत रहे हर सरकार आती है और हमारे भविष्य को सुरक्षित करने की वादा करती है. चुनाव के समय मुख्यमंत्री के द्वारा भी यह आश्वस्त किया गया कि मेरी सरकार बनते ही राज्य के पारा शिक्षकों की भविष्य को सुरक्षित की जाएगी. पारा शिक्षकों का स्थायीकरण और वेतनमान के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा भी किया गया. कमेटी की रिपोर्ट भी आ गई. अंतरिम रूप मुख्यमंत्री को निर्णय लेने का है. उसमें भी विलंब होने से राज्य के पारा शिक्षकों में काफी दुख व्याप्त है. आज जब भी कोई पारा शिक्षक मरते हैं उनके परिजनों को सरकार के द्वारा 1 की सुविधा नहीं दी जाती है अगर पारा शिक्षकों को स्थायीकरण किया जाता वेतनमान दिया जाता ईपीएफ से जोड़ा जाता तो निश्चित तौर पर आज उनके परिजनों को सहयोग के साथ साथ जीविकापार्जन मे सहयोग मिल पाता. परन्तु वर्तमान सरकार से भी राज्य के पारा शिक्षकों में विश्वास उठता जा रहा है. झारखंडी सरकार हेमंत सोरेन और शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो पर राज्य के पारा शिक्षकों को काफी उम्मीद जगी परंतु आज वह भी उम्मीद धीरे धीरे कम होते जा रहा है और राज्य के 65000 शिक्षकों के बीच एक रोष उत्पन्न हो रहा है, जिससे ऐसा महसूस हो रहा है कि ऐसा ना हो कि आने वाला कल में पुनः राज्य के पारा शिक्षक एक बड़ा आंदोलन करने को विवश हो जाए. आज एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा का राज्य इकाई मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से आग्रह करती है कि राज्य में कार्यरत 65000 शिक्षकों का स्थायीकरण और वेतनमान के साथ-साथ किसी दुर्घटना घट जाने के बाद उनके परिजनों को सहयोग प्राप्त हो. ऐसा प्रावधान जल्द से जल्द पास करने की मॉग करती है. नहीं तो पुनः बाध्य होकर एक बड़ा आंदोलन करने को विवश होना पडेगा जिसका सारा जिम्मेवार राज्य सरकार और पदाधिकारी होगें. एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के विनोद बिहारी महतो, संजय कुमार दुबे, ऋषिकेश पाठक, प्रमोद कुमार सिंटू, सिंह दशरथ ठाकुर व मोहन मंडल द्वारा एक बयान जारी कर उक्त जानकारी दी गई।