– संजीवनी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी से मरीज परेशान
अभय पलिवार की रिपोर्ट
गोड्डा: भले ही जिला प्रशासन द्वारा कोरोना संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों में भी 50 फ़ीसदी बेड आरक्षित रखने का आदेश दिया गया है। उपायुक्त द्वारा निजी अस्पतालों का भ्रमण कर कोविड-19 संक्रमितों के इलाज हेतु आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहने की हिदायत दी गई है। लेकिन हकीकत यह है कि लेकिन निजी अस्पताल सिर्फ मरीजों का आर्थिक दोहन करने में लगे हुए हैं। भरपूर आर्थिक दोहन के बाद भी जब मरीजों की स्थिति में सुधार नहीं हो पाता, तो बेहतर इलाज के लिए बाहर रेफर कर दिया जाता है।
जाहिर है निजी अस्पताल महामारी के इस दौर में भी मानवता का परिचय देने के बदले कमाई का अवसर मानकर चल रहे हैं। निजी अस्पतालों को मरीजों की आर्थिक स्थिति से कोई वास्ता नहीं रह गया है।
सिविल सर्जन कार्यालय की ओर से जारी सूची के अनुसार, जिला मुख्यालय के संजीवनी हॉस्पिटल में कोरोना पीड़ितों के इलाज के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 12 बेड की व्यवस्था है। लेकिन हालात यह है कि मरीजों से ऑक्सीजन का शुल्क तो वसूला जा रहा है, लेकिन आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
शनिवार को शाम में इस संवाददाता को संजीवनी हॉस्पिटल में भर्ती कोविड-19 संक्रमित शहर के एक होम्योपैथी चिकित्सक ने दूरभाष पर जानकारी दी कि ‘उनके सिलेंडर का ऑक्सीजन खत्म हो गया है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। मानवता के नाम पर मदद कीजिए।’
इस सूचना पर इस संवाददाता ने शहर के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता एवं वार्ड पार्षद प्रीतम गाडिया से जब संपर्क किया, तो उन्होंने छूटते ही कहा, ‘क्या संजीवनी अस्पताल से फोन आया था?’ हां कहने पर श्री गाडिया ने कहा कि वह अभी दो ऑक्सीजन सिलेंडर संजीवनी हॉस्पिटल देकर आए हैं। अब और सिलेंडर उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि संजीवनी हॉस्पिटल वाले ने उन्हें जानकारी दी है कि एक घंटे में सिलेंडर घुस जाएगा। मालूम हो कि श्री गाडिया को 5 ऑक्सीजन सिलेंडर सांसद डॉ निशिकांत दुबे द्वारा उपलब्ध कराया गया है।
मालूम हो कि आज शनिवार को उपायुक्त भोर सिंह यादव ने संजीवनी हॉस्पिटल समेत कुछेक अन्य निजी हॉस्पिटलों का मुआयना करते हुए कोविड-19 संक्रमितों के आपातकालीन इलाज के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है।