रामगढ़: कृषि विज्ञान केन्द्र, माण्डू, रामगढ़़ में चतर्थ वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, अटारी, पटना के अध्यक्षता में की गई। कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलीत करके किया गया। आये हुए अतिथियों का स्वागत डा. ए. के. सिंह, प्रधान शोध केन्द्र, प्लाण्डु, रांची ने किया। उन्होंने केन्द्र की स्थापना से लेकर चलाई जा रही योजनाओं के बारे में बताया। साथ ही पिछले दो वर्षो में किसानों को नई तकनीकी टूल्स जैसे वाट्सअप, विडियो, आडियों एवं आन-लाईन के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण दिया गया।
कृषि विज्ञान केन्द्र की उपलब्धियों के बारे में प्रभारी डा. दुष्यन्त कुमार राघव ने बताया कि केन्द्र के वैज्ञानिकों ने जिले में टमाटर एवं शकरकन्द की खेती में सुक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, बैंगन एवं टमाटर में कीट प्रबंधन एवं मशरूम, प्लास्टिक मल्चिंग विधि से खेती हेतु प्रशिक्षण हेतु शोध प्रणाली पर परीक्षण परिणाम प्रस्तुत किये गये। जिससे जिले के किसानों को इन फसलों में पोषक तत्व प्रबंधन एवं कीट प्रबंधन प्रशिक्षण प्रणाली पर अनुशंसा कि जा सकेगी। जिले में उन्नत प्रजाति के फलदार वृक्षों कि उलब्धता बढ़ाने हेतु हाईटेक नर्सरी की स्थापना होगी। जिसके माध्यम से रामगढ़ जिले एवं आस-पास के किसानों को गुणवत्तायुक्त फल एवं सब्जी के पौधे उपलब्ध हो सकेगें।
अटारी निदेशक डा अंजनी कुमार ने कहा किसान एवं किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से उत्पादन किये जाने वाले सब्जियों के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं विपणन पर जोर दिया जायेगा। युवा किसानों को खेती की ओर आकर्षित करने हेतु सघन खेती तकनीक एवं जलवायु अनुकूल फसल प्रणाली, बायोफोर्टिफाइड किस्मों को कृषि प्रणाली में अपनाने हेतु किसानों को कहा गया।
डा. जगन्नाथ उराव निदेशक, प्रसार शिक्षा, बी.ए.यू., राची ने अधिक से अधिक किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्र में भ्रमण करने की बात कही। डा. के.के. शर्मा, निदेशक भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद अनुसंधान संस्थान, राची ने किसानो को मिश्रित खेती करने पर जोर दिया। डा अभय कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, भा.कृ.अनु.प. का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना ने धान कटनी के बाद धान वाले खेत में किसानों का सरसों के उत्पादन करने की सलाह दी। जिला कृषि पदाधिकारी राजेन्द्र किशोर ने प्रगतिशील कृषकों को कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा बताई गई तकनीकों के माध्यम से खेती करने के लिए किसानों को कहा। उपेन्द्र साह, डी.डी.एम., नाबार्ड ने कहा कि एफ.पी.ओं. के माध्यम से किसान संगठिन होकर विपणन की समस्या का हल कर सकते हैं। अमरेन्द्र कुमार गुप्ता, सदस्य, क्षेत्रीय परामर्श दात्री समिति, नाबार्ड, झारखण्ड ने जिले में पपीता एवं शरीफा के उत्पादन के बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र के खुल जाने से यहा सब्जियों एवं फलों के उत्पादन में अधिक वृद्धि हुई है। मनोज ठाकुर जिला मत्स्य पदाधिकारी, रामगढ़ ने खेती के साथ-साथ मछली उत्पादन पर जोर दिया। रविश चन्द्रा, जिला उद्यान पदाधिकारी एवं परियोजना निदेशक प्रवीण कुमार सिंह ने किसानों को समय समय पर तकनीकी प्रशिक्षण लेने कि बात कही। हॉली क्रास कृषि विज्ञान केन्द्र, हजारीबाग के प्रधान डा. आर. के. सिंह ने कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा की जा रही तकनीकी हस्तानांतरण को किसानों को अमल में लाने कि बात कही।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं विषिष्ठ अतिथियों के द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र के तालाब में मछली का फिन्गरलिंग डाला गया। बैठक में डा सोमेश्वर भगत, केन्द्रीय उपराउ भूमि चावल अनुसंधन केन्द्र, हजारीबाग, कृषि विज्ञान केन्द्र, रामगढ़ के डा. इन्द्रजीत, डा. धर्मजीत खेरवार, सन्नी कुमार, सन्नी आशीष बालमुचू, शशि कान्त चौबे, सपोर्ट, माण्डु एवं ग्रामीण सेवा संध के प्रतिनिधि के साथ जिले के विभिन्न किसान सुनिता देवी, राम कुमार उराव, महादेव मांझी, संतोष बेदिया, जरासंध महतो उपस्थित थे।