रामगढ़ : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मंजूर भवन, में जनवादी गीत कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पार्टी के कार्यकर्ताओं को क्रांतिकारी और जनवादी गीतों का प्रशिक्षण देना और सांस्कृतिक मंडली की स्थापना करना था। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाकपा राज्य सहायक सचिव महेंद्र पाठक ने की। कार्यशाला को मुख्य वक्ता के तौर पर संस्कृतिकर्मी उमेश नज़ीर, सुशील स्वतंत्र, फरज़ाना, गौतम चौधरी ने संबोधित किया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए भाकपा राज्य परिषद के सदस्य सुशील स्वतंत्र ने स्वागत भाषण में कहा कि कम्युनिस्ट आनंदोलन में जनवादी गीतों का विशेष महत्व रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी के सांस्कृतिक जनसंगठन इप्टा का स्वर्णिम इतिहास रहा है। रामगढ़ की धरती कम्युनिस्टों के संघर्ष और शहादत की धरती रही है और इस धरती पर इंकलाब का तराना गाने वालों की मंडली का होना बहुत आवश्यक है। आज का दिन रामगढ़ के लिए ऐतिहासिक दिन है क्योंकि आज के ही दिन 19 मार्च 1940 में रामगढ़ में “अखिल भारतीय समझौता विरोधी सम्मेलन” हुआ था जिनमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने भाग लिया था। इस सम्मेलन में नेताजी ने ऐलान किया था कि “सम्पूर्ण आज़ादी के लिए कोई समझौता नहीं।” रामगढ़ की इसी संघर्ष की ज़मीन पर आज के ऐतिहासिक दिन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा सांस्कृतिक आंदोलन को पुनर्जीवित करने का प्रयास जरूर सफल होगा।
संस्कृतिकर्मी एवं भाकपा राज्य परिषद सदस्य उमेश नज़ीर ने कहा कि क्रांतिकारी शायर मख़दूम मोहिउद्दीन की याद में आयोजित इस जनवादी गीत कार्यशाला रामगढ़ के कम्युनिस्ट आंदोलन को मजबूती देगा। क्रांतिकारी गीतों ने देश की आज़ादी में बहुत महत्वपूर्ण योगदान निभाया है। इंकलाबी के होंठों पर तराना न हो तो वो क्रांतिकारी हो ही नहीं सकता। गौतम चौधरी ने कहा कि नाटक और गीतों के माध्यम से जनता के नजदीक पहुंचा जा सकता है।
फरजाना ने कहा कि सांस्कृतिक मोर्चे को मजबूत बनाकर हम महिलाओं, नौजवानों और गरीबों को आसानी से लामबंद कर सकते हैं।
अध्यक्षीय भाषण में बोलते हुए महेंद्र पाठक ने कहा कि रामगढ़ भाकपा से जुड़े संस्कृतिकर्मियों का केंद्र बनेगा। रामगढ़ में सांस्कृतिक आंदोलन को साथ लेकर कम्युनिस्ट आंदोलन आगे बढ़ेगा। नए गीत लिखे जाएंगें, स्थानीय समस्याओं पर नाटक तैयार किये जायेंगे और लोगों को जागरूक बनाया जाएगा। लइयो इप्टा के साथियों ने कार्यशाला में जनवादी गीतों का प्रशिक्षण उपस्थित साथियों को दिया। इप्टा के साथियों दुर्गा, राजू, प्रह्लाद ने क्रांतिकारी गीत गाया और प्रशिक्षण दिया।
कार्यशाला में इंकलाबी शायर मख़दूम मोहिउद्दीन के जीवन और उनके मशहूर ग़ज़लों पर एक घण्टे की एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म दिखाई गई।
इस अवसर पर बबलू उराँव, कय्यूम मलिक, मेवालाल प्रसाद, महेंद्र पाठक, सुशील स्वतंत्र, गौतम चौधरी, उमेश नज़ीर, फरज़ाना, रोहन, किशोरी गुप्ता, नेमन यादव, रविकांत प्रसाद, संजू गोयंका, चन्द्रभानु मुन्ना, सईद अंसारी, तेजन महतो सहित अन्य साथी उपस्थित थे।