जमशेदपुर: आज झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ की एक विशेष बैठक गूगल मीट ऐप पर संपन्न हुई। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों सहित सैकड़ों शिक्षकों ने इस बैठक में भाग लिया।आज की बैठक संघ के प्रदेश संरक्षक डॉ०एस०के०झा के नेतृत्व में हुई। बैठक में सर्वप्रथम सिमडेगा कालेज के मानवशास्त्र विभाग में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापिका डॉ०शांता रानी बेसरा के असमय निधन पर संघ ने 2 मिनट का मौनव्रत रख विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित किया। तदुपरांत सभी विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों ने एक सुर में कहा कि सरकार घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के हितार्थ एक कल्याण कोष का गठन करे।संघ के सचिव डॉ०प्रभाकर कुमार ने कहा कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में कार्यरत उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के संकल्प सं-4/वि०-135/516/2016, दिनांक 02.03.2017 के आलोक में यू०जी०सी० अर्हता के आधार पर कुलपति महोदय /महोदया की अध्यक्षता में गठित चयन समिति तथा बाह्य विषय-विशेषज्ञ की उपस्थिति में साक्षात्कार और शैक्षणिक अंक के प्राप्तांक के आधार पर तैयार मेधा सूची से अनुशंसित विभिन्न अंगीभूत महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों में कार्यरत घंटी आधारित लगभग 900 संविदा सहायक प्राध्यापक हैं। विदित हो कि उक्त संकल्प में इन शिक्षकों का मानदेय 600/- रुपये प्रति कक्षा और अधिकतम 60 कक्षा यानी 36000/- रुपये प्रतिमाह तय किया गया है।परंतु अवकाश के दिनों में यथा- ग्रीष्मावकाश ,शरद ऋतु, होली,दशहरा, दीपावली, छठ, आदि के समय में कोई मानदेय देय नहीं होता है और न ही हम सबों को सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गयी है। कोल्हान विश्वविद्यालय सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के उपाध्यक्ष डॉ०के०के०कमलेंदू ने कहा कि सरकार इन शिक्षकों के हितार्थ एक आकस्मिक कोष का भी गठन करे।राँची विश्वविद्यालय की डॉ ० स्मिता गुप्ता ने कहा कि इन शिक्षकों से सारा कार्य यथा- वीक्षण, उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन, प्रश्न पत्र निर्माण आदि स्थायी शिक्षकोंकी तरह लिया जाता है, परंतु किसी भी आपदा -विपदा, महामारी अथवा दुर्घटना के शिकार होने पर इन्हें किसी भी प्रकार की आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा सरकार अथवा विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान नहीं की जाती है। विनोबा भावे विश्वविद्यालय की डॉ०रुपम ने कहा कि किसी भी नौकरी में लोग इतने असुरक्षित नहीं है, जितने कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक हैं।फलत: सरकार को चाहिए कि इस पर गंभीरता से विचार करे।नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के डॉ ०मनीष तिवारी ने कहा कि कोरोना कोविड-19 महामारी के भीषण काल में कई शिक्षक इसके शिकारग्रस्त भी हुए हैं, परंतु सरकार या विश्वविद्यालय इनके कल्याणार्थ कुछ भी सहयोग नहीं करते हैं जो काफी दुखद बात है।एसकेएमयू के डाॅ०इंदूभूषण ने कहा कि सरकार यथाशीघ्र हमसभी शिक्षकों के हितार्थ सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए।अंत में बैठक के विचारोपरांत झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के प्रदेश संरक्षक डॉ०एस०के०झा ने कहा कि सरकार राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों व अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित संविदा सहायक प्राध्यापकों को आपदा-विपदा / महामारी/दुर्घटना अथवा असमय निधन होने पर सरकार अथवा विश्वविद्यालय के द्वारा किसी भी प्रकार की आर्थिक सुरक्षा प्रदान नहीं करती है,फलत: इन शिक्षकों के हितार्थ एक “कल्याण कोष” गठन किया जाना निहायत जरूरी है,और इस आशय का एक मेमोरेंडम महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति महोदया, माननीय मुख्यमंत्री महोदय, उच्च शिक्षा सचिव व उच्च शिक्षा निदेशक एवं सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति महोदय को भी दिया जायेगा।आज की बैठक में डाॅ०अंजना सिंह, डॉ ०कमला बानरा, डॉ०इंद्रजीत राम, डॉ ०बिसकलीस पन्ना, डॉ०अन्नपूर्णा झा, डॉ०शोभा सिंह, डॉ०गोपीनाथ पांडेय, डॉ०नीली बहादुर, डॉ०भवेश कुमार, डॉ०मिथिलेश कुमार महथा, डॉ०अराधना तिवारी, डॉ०किशोर सुरीन आदि शिक्षकों ने भाग लिया।