रामगढ़: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, झारखंड राज्य के सहायक सचिव सह अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव महेंद्र पाठक ने कहा कि ,देश कोरोना महामारी से परेशान है । सरकारी आदेश पर लॉकडाउन में लोग घर में बंद हैं । सारे काम धंधे बंद पड़े हैं, वैसी परिस्थिति में किसान ही लोगों को अपना नुकसान सह करके भी जिंदा रखे हुए हैं देश के किसानों की हालत बदतर होता जा रहा है। एक तो सरकारी आदेश लॉकडाउन ,दूसरा महामारी और तीसरा चक्रवात तूफान और असमय बारिश से किसानों की बदतर हालात बनता जा रहा है। लॉकडाउन के कारण बाहर से कोई खरीददार सब्जी के लिए नहीं आ रहे हैं। बड़कागांव हजारीबाग में किसानों के द्वारा सब्जी फेंका जा रहा है। रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड के कोईया, बरियातू ,सोटई और उनके अगल बगल के गांव में किसानों के तारबुज ,खीरा, मिर्चा, भिंडी, खेतों में सड़ रहा है । मुफ्त में भी कोई ले जाने को तैयार नहीं है, ऐसे में किसानों के लगे पूंजी औश्र मेहनत मजदूरी बच्चों के पढ़ाई ,लिखाई से लेकर शादी ब्याह तक खेतों पर निर्भर किसान बगैर बीमारी के भी मरने के कगार पर पहुंचे हुए हैं । सरकार अपने आदेश से लोगों को घरों में बंद करके रखे हुए हैं। सरकारी कर्मचारियों को या मंत्री विधायकों को अधिकारियों को तो बंद के दौरान भी उनकी हाजिरी बन रहा है। बगैर काम किए भी जनता के खजाने से लाखों रुपए प्रतिमाह लोगों को मिल रहा है । लेकिन जो देश और दुनिया को अपनी मेहनत और पसीने की कमाई से जिंदा रखता है, देश के 70% किसान मरने के कगार पर हैं। लेकिन केंद्र की सरकार हो या राज्य की सरकार नहीं सुन रही है और नए नए कानूनों को थोपकर किसानों के जमीन को लूटने के भी प्रयास कर रही है । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं अखिल भारतीय किसान सभा सरकार से मांग करती है, कि किसानों के हो रहे नुकसान की भरपाई केंद्र एवं राज्य की सरकार करें। खरीफ फसल से लेकर धान की बुवाई तक धान के बीज खाद कीटनाशक एवं फसलों के नुकसान के प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा किसानों को जिंदा रखने के लिए सरकार दे। पिछले लॉकडाउन में केंद्र की सरकार 20 लाख करोड़ की पैकेज ड्रामा बड़े-बड़े पूंजी पतियों को फायदा पहुंचाया। लेकिन आज 1 साल से किसान हर फसलों में नुकसान सह करके भी लोगों को जिंदा रखे हुए हैं। सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले कृषि क्षेत्र सबसे ज्यादा नुकसान भी सह रहा है। एक सुई बनाने वाली कंपनी भी अपने सुई का कीमत स्वयं तय करता है । लेकिन किसान 3 महीने 4 महीने तक मेहनत बाल बच्चे मिलकर करते हैं, पूंजी भी लगाते हैं, और उनके उत्पाद आज बाजार में जाने के बजाय खेतों में सड़ रहा है ।इसलिए राज्य सरकार या केंद्र की सरकार विचार करें और किसानों को मुआवजा दे ,राहत दे, सहायता करें। गोला के वचनु महतै, santosh महतो, बाबूलाल महतो, कौशल महतो आदि किसानों ने बताया कि लगातार हो रहे नुकसान से किसानों की कमर टूट चुकी है। सरकार सुन नहीं रही है , जिले के सांसद विधायक किसानों की सुध तक नहीं ले रहे हैं । ऐसी परिस्थिति में किसानों को देखने वाला कोई नहीं है ।