गोड्डा: ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के सौजन्य से पथरगामा प्रखंड के कस्तुरिया में किसान गोष्ठी सह जल शक्ति अभियान के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। मौके पर सस्य वैज्ञानिक डाॅ अमितेश कुमार सिंह ने कहा कि जल संरक्षण का अर्थ है जल के प्रयोग को कम करना एवं सफाई, निर्माण, कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुनः चक्रण करना। कहा, जल संरक्षण करके भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाया जा सकता है, जिससे कुएं एवं नलकूपों से वर्ष भर जल प्राप्त किया जा सकता है।
जल संरक्षण से मीठे पानी के भंडार में वृद्धि होती है। जल संरक्षण का समुचित उपाय उसका प्रदूषण से बचाव भी है। यह समय की मांग है कि इस ओर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डाॅ रितेश दुबे ने मिट्टी जांच करने हेतु मिट्टी का नमूना लेने की विधि की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक हेक्टेयर के खेत से 10-12 जगह वी आकार में 15 सेंटीमीटर गड्ढे खोदकर खुरपी की सहायता से मिट्टी का नमूना एकत्र किया जाता है। लगभग आधा किलोग्राम मिट्टी के नमूने को साफ-सुथरे बैग में भरकर कृषि विज्ञान केंद्र में मिट्टी की जांच करायें। मिट्टी जांच में मिट्टी का पीएच, कार्बनिक पदार्थ, अम्लीयता, क्षारीयता तथा उदासीनता का पता चलता है। मिट्टी जांच के बाद किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड तीन साल के लिए मान्य होता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में मृदा सुधारक का प्रयोग, यूरिया, डीएपी, पोटाश, गोबर की खाद डालने की मात्रा दिया रहता है। मौके पर किसानों को केंद्र तथा राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया गया।
गृह वैज्ञानिक डाॅ प्रगतिका मिश्रा ने महिला किसानों को पोषण वाटिका के महत्व की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पोषण वाटिका के माध्यम से परिवार की आवश्यकतानुसार ताजी एवं स्वादिष्ट शाक-सब्जियां साल भर उपलब्ध होती रहती हैं।
घरेलू कार्यों में प्रयुक्त हो चुके जल का पौधों की सिंचाई में सदुपयोग हो सकता है एवं घर के कूड़े-करकट का कम्पोस्ट खाद बना कर प्रयोग किया जा सकता है।
सब्जी खरीदने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता बल्कि घर में ही ताजी, स्वादिष्ट शाक-सब्जियां नियमित रूप में मिलती रहती हैं। कार्यक्रम के अन्त में प्रगतिशील किसानों के बीच अमरूद एवं कसावा के पौधे वितरित किया गया। मौके पर रामधन मुर्मू, जयंती कुमारी, ग्लोरिया हेम्ब्रम, मीरू मरांडी, अंकिता, अनामिका सोरेन, नीतू हांसदा तलकु टुडू, ईश्वर मुर्मू समेत 50 प्रगतिशील महिला-पुरूष किसान गोष्ठी में सम्मिलित हुए।