सरायकेला। सरायकेला नगर पंचायत उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सरायकेला नगर राज परिवार द्वारा बसाया गया काफी पुराना नगर है। राज परिवार के संरक्षण में क्षेत्र से जुड़े हुए बड़े धार्मिक अनुष्ठान सभी समुदायों को साथ में रखते हुए पूर्ण कराए जाते रहे हैं। वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए इस वर्ष भी राज परिवार द्वारा दिनांक 12 जुलाई को श्री जगन्नाथ महाप्रभु से जुड़े हुए रथ यात्रा से जुड़ी हुई परंपराओं का निर्वहन कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत किया गया था। जिसकी चर्चा मैं 12 जुलाई की रात्रि 9:30 बजे श्री जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में सेवायतों के साथ कर रहा था। अचानक पांच युवक गैर इरादतन मंदिर परिसर में घुसकर गाली गलौज और अभद्र भाषा का मुझ पर प्रयोग करते हुए जान से मार देने की धमकी दे रहे थे। उसी बीच 9:50 में बड़ा बाबू सिंह देव ने मुझे मंदिर प्रांगण की सीढ़ियों से खींचते हुए मारपीट करते हुए मेरी गंजी फाड़ दी और जान से मारने की कोशिश की। इस विषय मैंने सरायकेला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने हेतु आवेदन दिया था लेकिन सत्ता पक्ष और अपने बचाव के लिए बड़ा बाबू सिंह ने उन्हें एक झूठा आवेदन मेरे उपर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाना में जमा किया है। जिसमें कहा गया है कि वह एक गरीब ब्राह्मण के अंत्येष्टि में शमशान गए हुए थे अंत्येष्टि उपरांत नदी से नहाकर लौटने के क्रम में मंदिर परिसर के अंदर के शोरगुल को सुनकर वे मंदिर अंदर गए थे तथा वे कोविड-19 प्रोटोकॉल अनुपालन करने के लिए हमें कह रहे थे और मैं और हमारे पांच समर्थक उनके ऊपर भड़क गए और हम लोगों ने उनके साथ मारपीट की उनका इस प्रकार का आरोप निराधार है। मेरा कहना है कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन कराने के लिए उनको किसने अधिकृत किया ना तो वे सामाजिक कार्यकर्ता हैं ना ही कोई जनप्रतिनिधि है और उन्हें यदि लगता था कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करना है तो थाना कितनी दूर में था थाना को खबर ना देकर विधि व्यवस्था उनके द्वारा क्यों बिगाड़ी गई। उनके द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं यदि उनके आरोपों में रत्ती भर भी सत्यता रहती तो निष्पक्ष जांच कराने से क्यों भाग रहे हैं। आज तक प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं हुई। यह हर सरायकेला वासी समझ रहा है जब मुझ जैसे जनप्रतिनिधि के साथ दुर्व्यवहार मारपीट और अमर्यादित व्यवहार हो सकता है तो आम जनता कहां सुरक्षित हो सकती है। उन्होंने कहा मैं पिछले 12 दिन सनातन संस्कृति और आस्था को सर्वोपरि मानते हुए बर्दाश्त कर रहा था। क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरे किसी भी स्टेप से रथयात्रा जैसा पवित्र पूजा-पाठ प्रभावित हो। मैंने अपने मन को कठोर करते हुए रथ यात्रा समाप्ति का इंतजार किया। मेरी स्वाभिमान की लड़ाई में भाजपा परिवार और अधिकतर सरायकेला वासियों का सहयोग मिला। मैं उन्हें हृदय से धन्यवाद देता हूं मैं संवैधानिक तरीके से अपने मान सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए मेरे शरीर में खून की आखरी कतरे तक लडूंगा। मेरी चुप्पी को मेरी कमजोरी नहीं समझा जाए मेरे साथ पूरा भाजपा परिवार और अधिकतर सरायकेला वासी हैं। मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं आमरण अनशन के लिए बाध्य होऊगा जिसकी सारी जवाबदेही जिला प्रशासन की होगी।