रामगोपाल जेना
चक्रधरपुर रेल प्रमंडल में दिनांक 4 नवंबर से टाटानगर से राऊरकेला अप एवं डाउन स्टाफ़ शटल ट्रेन का परिचालन प्रती दीन दो बार आना व जाना हो रहा है.सिर्फ़ रेल स्टाफ़ के लिए चलाये जा रहे स्टाफ़ शटल ट्रेन में कितने संख्या में रेल कर्मी इसका लाभ उठा रहें हैं.यदी रेल प्रशासन टाटानगर से राऊरकेला के बीच रेलक़र्मीयों की संख्या का आकलन सही से करें तो पत्ता लग जाएगा,की यह सौदा कितना रेल के लिए फ़ायदेमंद है.बल्कि इस ट्रेन के चलने से रेल को ही क्षति पहूँच रही है.
चूँकि साउथ इस्टर्न रेल ज़ोन हाउड़ा,मुंबई रेल मार्ग देश का सबसे अतीब्यस्तम मार्ग है.देखा गया है,की चार बोगी वाले स्टाफ़ शटल ट्रेन में स्टाफ़ की संख्या मात्र गिनती के ही रहते है.जिससे इस ट्रेन की आगे यदी कोई भी गुड्स ट्रेन व यात्री ट्रेन जा रही है,तो यह ट्रेन वहाँ घंटो रुके रहेगी.इससे रेल को क्षति तो हो रही है.वहीं कोरोना के मद्देनज़र बंद पड़े यात्री पेसेंजर ट्रेन के नहीं चलने से आम ग़रीब यात्रीयों को भी इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है.यदी रेल प्रशासन मात्र चार बोगी वाले स्टाफ़ शटल ट्रेन में सिर्फ़ स्टाफ़ के लिए दो बोगी और आम यात्रियों के लिए टिकट जारी कर अन्य दो बोगीयों में यात्रा का आदेश किया जाता तो.इससे आम यात्रीयों को भी सुविधा तो मिलती ही और रेल प्रशासन को भी आमदनी होती.