बसंत कुमार गुप्ता
गुमला l आरटीआई कार्यकर्ता आनंद किशोर पंडा ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) का प्रयोग करते हुए कोर्ट एवं जेल विडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रोजेक्ट की सूचनाएं जैप -आई०टी० से मांगा था जो नहीं मिला तो आवेदक ने जैप आई०टी० के विरुद्ध मामला झारखण्ड राज्य सूचना आयोग में दर्ज कर दिया l उल्लेखनीय है कि दिनांक 06-03-2021 का सूचनावेदन में तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सूचनाएं मांगी गई थी , (1) कन्ट्रेक्ट एग्रीमेंट दिनांक 28-02-2019 जैप – आई०टी० टेंडर नम्बर- जैप- आई०टी०/भीसी/सिजे/04/2018 के अनुसार झारखण्ड के विभिन्न जिलों के सिवील कोर्ट एवं जेलों में टेक्निकल रिसोर्स ( नेटवर्क इंजीनियर ) की बहाली की प्रक्रिया क्या था तथा किस -किस जिलों में किन-किन अभ्यर्थियों का बहाली किया गया, (02) टेक्निकल रिसोर्स ( नेटवर्क इंजीनियर ) जो झारखण्ड के सभी जिलों में पदस्थ हैं ,उनका नाम, पता, पदनाम, संपर्क नम्बर, मासिक वेतन, कूल भूगतान वेतन एवं इनकी एजुकेशन डिग्रीयां का पूर्ण ब्योरा तथा (3) इस प्रोजेक्ट के इन्फ्रास्ट्रक्चर में अब तक के खर्च का जिलावार ब्योरा ? लेकिन जैप -आई०टी० के विशेष कार्य पदाधिकारी-सह- जन सूचना पदाधिकारी के द्वारा इस मामले पर प्रथम अपील दर्ज होने के उपरांत पत्रांक – 856, दिनांक 11-05-2021 के तहत आधी- अधूरी सूचनाएं उपलब्ध कराई गई , केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च का 02 करोड़ 13 लाख 41 हजार 556 रुपए का 09 बिल की प्रति उपलब्ध कराई गई जिसमें किस -किस जिलों में कितनी राशि खर्च हुआ का ब्योरा नहीं है , साथ ही कंडिका – (1) एवं (02) की सूचनाएं भी नदारत है , इन दोनों कंडिका की सूचनाएं पर कहा गया कि ‘ यह कार्य परियोजना एजेंसी मेमर्स भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के द्वारा किया जाता है ‘ l वहीं आरटीआई कार्यकर्ता आनंद किशोर पंडा ने इस मामले को राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दर्ज करते हुए चुनौती दिया गया है कि 47.99 करोड़ का इस प्रोजेक्ट की कन्ट्रेक्ट एग्रीमेंट पर जैप- आई०टी०, सेन्ट्रल प्रोजेक्ट कार्डिनेटर – झारखण्ड उच्च न्यायालय, सहायक कारा निरीक्षक , झारखण्ड तथा परियोजना एजेंसी मेमर्स भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के बिच एकरारनामा हस्ताक्षरित है जिसका सम्पूर्ण राशि पब्लिक लोकधन है जिसकी सूचनाएं आम पब्लिक को मिलनी चाहिए l