रांची: आज रांची में प्रदान एवं Water.org के संयुक्त तत्वाधान में SWACHH परियोजना के दूसरे चरण का शुभारम्भ किया है, जिसे 3 प्रमंडलों (दक्षिण और उत्तर छोटानागपुर और संथाल परगना) के 10 जिलों के 70,000 परिवार के साथ अगले 2 वर्षों की अवधि के लिए लागू किया जाना है।
इस परियोजना के पहले चरण में, झारखंड के क्रमशः तोरपा, गुमला, पोरैयाहाट, पेटरबार और शिकारीपारा प्रखण्ड में पायलट किया गया था, जिसमें 25,000 परिवारों तक इन बुनियादी वॉश सुविधाओं को पहुंच बनाने का लक्ष्य रखा गया था। Water.org के साथ प्रदान के एक समेकित प्रयास के माध्यम से कम समय में जो उपलब्धि हासिल किये है उल्लेखनीय थे और इन्होने अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया था।
यहां यह उल्लेख करने योग्य है कि WASH अभ्यास स्पष्ट रूप से SDG के छठे लक्ष्य के साथ संरेखित होता है। यह परियोजना समुदाय के साथ एक महत्वपूर्ण पहल थी। इस पायलट के तहत, समुदायों को स्वच्छता सुविधा (शौचालयों का निर्माण / मरम्मत) और स्वच्छ फ़िल्टर्ड पेयजल के प्रावधान को नियमित रूप से बनाये रखने हेतु कार्य किया गया था। इसके लिए लोगों को ऋण प्राप्त करने हेतु बैंक, जे.एस.एल.पी.एस., स्वयं सहायता समूह मदद करता है। ताकि वे संवेदनशील हो सकें और स्वस्थ वॉश प्रथाओं का अभ्यास में ला सकें।
वर्तमान में, दूसरे चरण की शुरुआत के साथ, 75,000 परिवारों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जो वाश सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं। इस अवसर पर संबंधित 5 प्रखंडों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अपने विचार साझा किए। उन्होंने उन चुनौतियों के बारे में बात की जिनका उन्हें पहले सामना करना पड़ा था जब घरों में शौचालय नहीं थे।
उनके साथ छेड़खानी या किसी अन्य मुद्दे पर लगातार डर बना रहता था। लेकिन अब इस गतिविधि से, यह उनके लिए भगवान के उपहार के रूप में आया है और अब उनका काफी समय भी बच रहा है और वे खुशहाल जीवन जी रहे है।
इस अवसर पर सरकार एवं संस्था के प्रतिनिधयों शामिल हुए, जिसमे मोहम्मद आज़ाद (जल और स्वच्छता विभाग, झारखण्ड सरकार), जोश (water.org), बाला देवी निंगथौजम (प्रदान), अजीत सिंह, (निदेशक, विश्वा), इंद्र देव मंडल (संयुक्त सचिव, जल और स्वच्छता विभाग, झारखण्ड सरकार),सुबोध कुमार (डी.जी.एम, बैंक ऑफ इंडिया), मानस सत्पथी (प्रदान), बिष्णु परिदा (जे.एस.एल.पी.एस.), प्रो रमेश शरण (पूर्व कुलपति, विनोबाभावे विश्वविद्यालय) और संजय कुमार पांडे (यूनिसेफ) उपस्थित थे।
सभी ने अपने विचार साझा किए और पेयजल के भविष्य एवं शौचालय के सक्रीय उपयोग की संभावना को साझा किया और प्रतिभागियों को इसके लिए प्रेरित किया।
उक्त प्रखंडों के स्वयं सहायता समूहों/स्वयंसेवकों के दीदी/सदस्यों ने न केवल अपने अनुभव साझा किए, बल्कि यह भी बताया कि कैसे प्रदान ने समुदायों के भीतर इस प्रासंगिक मुद्दे को जमीन पर उतारने और प्रारंभिक आधार तैयार करने में उनकी सक्रिय रूप से मदद की। पेटरवार से पंचायत प्रतिनिधि रानी मुर्मू (मुखिया) ने प्रखंड स्तर पर भी अभियान मोड में कार्यशाला आयोजित करने का सुझाव दिया।
प्रदान और जे.एस.एल.पी.एस. के सहयोग, बैंकों के सहायता कर्ज की राशि के सहयोग से स्वयं सहायता समूह को जमीन पर एक सफल मॉडल बनाने में मदद की। इस परियोजना के तहत स्वयं सहायता समूहों / ग्राम संगठन / पंचायत प्रतिनिधियों को जे.एस.एल.पी.एस./बैंकों से नए शौचालयों की स्थापना या पुराने शौचालयों में सुधार करने और स्वच्छ पेयजल के अवसर तलाशने के लिए ऋण प्राप्त करने में सुविधा प्रदान की जाती है।
यह आयोजन एक बड़ी सफलता थी और उपस्थित प्रतिभागियों ने समुदायों में प्रदान द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की और आने वाले समय में समुदायों को स्वच्छ प्रथाओं को नियमित रूप से सक्रिय करने के लिए इस यात्रा को आगे बढ़ाने की कामना की।
प्रदान की मंच सञ्चालन संयुक्त रूप से रितिका वर्मा, सौम्या एवं प्रेम शंकर के द्वारा किया गया। साथ ही कार्यशाला का धन्यवाद ज्ञापन प्रदान के सुकांता सरकार ने किया। उन्होंने साझा किया कि यह हम सभी (पंचायती राज, सिविल सोसाइटी संगठनों, लाइन डिपार्टमेंट, यूनिसेफ एवं बैंक) के लिए एक साथ आने और बेहतर आउटरीच, संभावना और प्रभाव के लिए अपना प्रयास करने का अवसर है।