गुमला: उपायुक्त शिशिर कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टीबी- सह रूग्णता समन्वय समिति (डीटीसीसी) के गठन हेतु बैठक का आयोजन आईटीडीए भवन स्थित उपायुक्त के कार्यालय वेश्म में किया गया।
बैठक में सर्वप्रथम जिला स्तरीय टीबी- सह रूग्णता समन्वय समिति की जानकारी दी गई। बताया गया कि जिले में टीबी सह रूग्णता एवं एचआईवी के रोकथाम से संबंधित गतिविधियों का सुचारू कार्यान्वयन एवं नियमित समीक्षा सुनिश्चित करने हेतु मौजूदा जिला स्तरीय समन्वय समिति के स्थान पर जिला स्तरीय टीबी- सह रूग्णता समन्वय समिति का गठन किया जाना है। जिला स्तरीय टीबी- सह रूग्णता समन्वय समिति का मुख्य उद्देश्य जिले के संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) , राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP), नैशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कण्ट्रोल ऑफ़ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिसीसेस एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस), एनटीसीपी, एमसीएच एवं एचडब्लूसी के कर्मियों के बीच समन्वय स्थापित कर जिले में तपेदिक सह रूग्णता एवं संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम से संबंधित सहयोगी गतिविधियों को निर्धारित राष्ट्रीय रूपरेखा के आधार पर जिले में कार्यान्वित कराते हुए तपेदिक के मामलों में सुधार लाना है। इसपर समिति के अध्यक्ष सह उपायुक्त ने उक्त समिति में उप विकास आयुक्त तथा पर समाहर्त्ता को भी शामिल करने का निर्देश दिया।
बैठक में उपायुक्त ने गुमला जिले में तपेदिक के कुल मरीजों की संख्या तथा तपेदिक के लक्षण, मरीजों की पहचान एवं उनके ईलाज की प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त की। इसपर वर्तमान में गुमला जिलांतर्गत तपेदिक के लगभग 526 मरीज होने की जानकारी दी गई। साथ ही बताया गया कि वर्तमान में एनसीडी द्वारा विभिन्न रोगों का सर्वेक्षण कराया जाता है। इस सर्वेक्षण के आधार पर तपेदिक के मरीजों को चिन्हित किया जाता है। मरीजों को चिन्हित करने के पश्चात् उनका ईलाज किया जाता है। विदित हो कि तपेदिक के मरीजों को सहिया के द्वारा चिन्हित किया जाता है। बैठक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा तपेदिक के लक्षणों की जानकारी दी गई। बताया गया कि लगातार तीन हफ्तों से खांसी का आना, खांसी के साथ खून का आना, छाती में दर्द और सांस का फूलना, वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना, शाम को बुखार का आना और ठण्ड लगना, रात में पसीना आना आदि क्षय रोग के लक्षण हैं। इसके लक्षण की पहचान के मरीज के बलगम की जाँच के द्वारा की जाती है। वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताया गया कि जिला स्तरीय टीबी- सह रूग्णता समन्वय समिति यह सुनिश्चित करेगी कि जिले में तपेदिक एवं एचआईवी निवारण हेतु सेवा प्रदान करने वाले सभी टीबी केयर, एचआईवी केयर तथा हेल्थ एवं वेलनेस केंद्रों पर उचित संक्रमण नियंत्रण उपाय किए गए हैं अथवा नहीं। इसके साथ ही समिति द्वारा कार्यक्रम के नवीनतम मार्गदर्शन के अनुसार पात्र आबादी के बीच तपेदिक निवारक उपचार के कार्यान्वयन की समीक्षा भी की जाएगी।
उक्त सभी बिंदुओं पर विचार-विमर्श करने के उपरान्त जिला स्तरीय टीबी-सह रूग्णता समन्वय समिति का गठन किया गया।
उपस्थिति
बैठक में उपायुक्त सहित सिविल सर्जन डॉ. विजया भेंगरा, उप विकास आयुक्त संजय बिहारी अंबष्ठ, अपर समाहर्त्ता सुधीर कुमार गुप्ता, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डा. राजेश कुमार टोप्पो, जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ. अन्सलेम लकड़ा, नोडल पदाधिकारी एनएसीपी/ एनपीसीडीसीएस/ एनटीसीपी/ एमसीएच/ एचडब्लूसी व अन्य उपस्थित थे।