वीसी के पश्चात् पोषण अभियान अंतर्गत मॉड्यूल 20 एवं 21 का दो दिवसीय डी.आर.जी प्रशिक्षण का हुआ शुभारंभ
गुमला:आगामी 01 अप्रैल 2021 से जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से आज निदेशक समाज कल्याण विभाग झारखंड मनोज कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। वहीं वीसी के माध्यम से वर्ल्ड बैंक की वरिष्ठ तकनीकि विशेषज्ञ नीना शर्मा ने आंगनबाड़ी केंद्रों को पुनर्जीवित करने के पूर्व किए जाने वाले त्रि-चरणीय तैयारियों की विशेष जानकारी साझा की।
वीसी में सर्वप्रथम मनोज कुमार ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के फैलाव के कारण मार्च 2020 से बंद पड़े सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को आगामी 01 अप्रैल 2021 से पुनर्जीवित किया जा रहा है। इन केंद्रों को पुनर्जीवित करने से पहले भारत सरकार एवं झारखंड सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड-19 के सभी दिशा-निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करते हुए जिलों में आंगनबाड़ी केंद्रों का नियमित रूप से संचालन सुनिश्चित किया जाना है। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने से पहले कुछ तैयारियां सुनिश्चित करना आवश्यक हैं। इन तैयारियों को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि अबतक 10 प्रतिशत सेविकाओं/ सहायिकाओं ने अपना कोविड-19 का वैक्सीन नहीं लिया है। इस संबंध में उन्होंने जिला समाज कल्याण पदाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रांतर्गत सभी सेविकाओं एवं सहायिकाओं को कोविड-19 टीकाकरण लगवाने का निर्देश दिया। उन्होंने आगे बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों के सफल संचालन में सामुदायिक संवेदनशीलता अतिआवश्यक है। सामुदायिक संवेदनशीलता लाने में महिला पर्यवेक्षिकाओं एवं सेविकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने सभी सेविकाओं एवं सहायिकाओं को बिना मास्क के संबंधित आंगनबाड़ी केंद्र परिसर में नहीं आने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने सेविकाओं एवं सहायिकाओं को भोजन तैयार करते वक्त भी मास्क का उपयोग करने पर विशेष जेर दिया। वहीं उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र परिसर में किसी भी बाहरी व्यक्ति के बिना मास्क के प्रवेश को वर्जित करने का भी निर्देश दिया।
वीसी में वर्ल्ड बैंक की वरिष्ठ तकनीकि विशेषज्ञ नीना शर्मा ने आंगनबाड़ी केंद्र संचालन हेतु त्रि-चरणीय तैयारियों की विस्तृत जानकारी साझा की। प्रथम चरण की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने के एक सप्ताह पूर्व आंगनबाड़ी केंद्र एवं परिसर की साफ –सफाई तथा केंद्रों में मौजूद सभी बर्तन एवं उपकरणों की साफ-सफाई सेविका/ सहायिका द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा। आंगनबाड़ी केंद्र के भीतरी एवं बाहरी हिस्सों को संक्रमण मुक्त करने के लिए केंद्र खुलने के एक सप्ताह पूर्व तथा पुनः केंद्र खुलने से तीन दिन पहले आंगनबाड़ी सेविका/ सहायिका एवं महिला पर्यवेक्षिकाओं द्वारा हाईपोक्लोराईट सॉल्यूशन का छिड़काव किया जाएगा। आंगनबाड़ी केंद्रों पर जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के द्वारा आवश्यक सामग्रियों यथा- साबुन, सैनेटाइजर, तौलिया, मास्क तथा आईईसी सामग्री का क्रय कर संधारित किया जाएगा। महिला पर्यवेक्षिकाओं एवं सेविकाओं द्वारा बच्चों के रोस्टर का निर्माण केंद्र खुलने के एक सप्ताह पूर्व किया जाएगा। 03-06 वर्ष के बच्चों के अभिभावकों से भेंट एवं केंद्र खुलने संबंधित जानकारी उन्हें केंद्र खुलने से 10 दिन पूर्व से लगातार दिया जाएगा। इसके अलावा केंद्र खुलने से 10 दिन पूर्व से लगातार समुदाय में पी.आर.आई/ एस.एच.जी आदि के साथ बैठक किया जाएगा।
द्वितीय चरण में आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन के दौरान की जाने वाली तैयारियों की जानकारी साझा करते हुए उन्होंने बताया कि पाठशाला जाने के पूर्व बच्चे रोस्टर के अनुसार केंद्रों पर आएंगे। रोस्टर निर्धारण हेतु 05-08 बच्चों का छोटा समूह बनाया जाएगा। बच्चों की संख्या केंद्र में उपलब्ध स्थान एवं 06 फीट की दूरी के आधार पर तय किया जाएगा। सभी बच्चे क्रमवार 06 फीट की दूरी रखते हुए केंद्र में प्रवेश करेंगे। बच्चों को पाठ्यक्रम घर पर ही फॉलोअप करने हेतु प्रोस्ताहित किया जाएगा। बच्चों के अभिभावकों को इस संबंध में परामर्श भी दिया जाना है।
केंद्र में प्रवेश के पहले सहायिका सभी बच्चों के हाथ साबुन से धुलवाने में मदद करेंगी। सेविका, सहायिका दूरी रखते हुए बच्चों को पढ़ाएंगी। शौचालय के प्रयोग के बाद बच्चों को साबुन से हाथ धोना सुनिश्चित कराया जाएगा।
कोविड से बचाव हेतु जानकारी बच्चों को दिया जाएगा। जिसके तहत बच्चों को बार-बार हाथ धोना, कम से कम 20 सेकेंड तक हाथ धोना, हाथ कब-कब अनिवार्य रूप से धोना, भीड़-भाड़ वाली जगहों में नहीं जाना तथा अनावश्यक रूप से बाहर नहीं निकलने की जानकारी दी जाएगी।
तीसरे चरण में आंगनबाड़ी केंद्रों के अनुश्रवण की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान परिस्थिति के मद्देनजर प्रत्येक स्तर पर अनुश्रवण की प्रणाली को सुदृढ़ किया जाना आवश्यक है। इसके लिए उन्होंने जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी एवं महिला पर्यवेक्षिकाओं को अपने संबंधित क्षेत्रांतर्गत प्रत्येक सेक्टर में प्रतिमाह कम से कम 15 आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा कोरोना से बचाव हेतु आंगनबाड़ी केंद्रों में की जाने वाली आवश्यक गतिविधियों का अनुश्रवण दैनिक स्व अनुश्रवण प्रतिवेदन में किए जाने की जानकारी दी।
इसके अलावा नीना शर्मा ने आंगनबाड़ी कंद्रों पर आयोजित होने वाले किसी भी सामुदायिक कार्यक्रमों यथा- गोद-भराई, अन्नप्राशन इत्यादि में 60 वर्ष से ऊपर आयुवर्ग वाले व्यक्तियों को शामिल न करने पर विशेष जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने अति कुपोषित बच्चों, उच्च जोखिम गर्भधारण अवस्था एवं धातृ माताओं को उनके घर पर ही आंगनबाड़ी सेवाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। उन्होंने गर्भवती महिलाओं एवं नौनिहाल बच्चों को केवल आवश्यक तथा स्वास्थ्य सेवाएं हेतु ही आंगनबाड़ी केंद्रों पर उपस्थित होने का परामर्श देने की आवश्यकता बताई। इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों को हॉट कुक्ड मील उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया।
वीसी के पश्चात् जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सीता पुष्पा तथा बाल विकास परियोजना पदाधिकारी पालकोट सुशाना केरकेट्टा के द्वारा सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों एवं महिला पर्यवेक्षिकाओं को पोषण अभियान अंतर्गत मॉड्यूल 20 एवं 21 का दो दिवसीय डी.आर.जी प्रशिक्षण का शुभारंभ विकास भवन के सभागार में किया गया।
उपस्थिति
वीसी सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला सुख्यालय से जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सीता पुष्पा, सभी प्रखंडों के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिकाएं व अन्य उपस्थित थे।