जमशेदपुर: कोल्हान विश्वविद्यालय में सभी अंगीभूत महाविद्यालयों के लिए गेस्ट फैकल्टी के पदों पर नियुक्ति हेतु कल विज्ञापन प्रकाशित किया गया है। गेस्ट फैकल्टी की अर्हताएं वहीं होगी,जो स्थायी अस्सिसटेंट प्रोफेसर के लिए यूजीसी रेगुलेशन में कर्णाकिंत है। परंतु विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित इस गेस्ट फैकल्टी को मानदेय के रुप में स्नातकोत्तर हेतु 350 रुपया प्रति कक्षा तथा स्नातक हेतु 300 रुपया प्रति कक्षा तथा अधिकतम 9000/= प्रतिमाह के मानदेय पर ये गेस्ट फैकल्टी कार्य करेंगे। विदित हो कि महाविद्यालयों के जिस विभाग में घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक नहीं है वैसे विषयों में गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति विश्वविद्यालय करने जा रहे हैं।इस संदर्भ में झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के प्रदेश संरक्षक डॉ०एस०के०झा के विचारों को जब जाना गया तो उन्होंने कहा कि यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार जब विश्वविद्यालय गेस्ट फैकल्टी को नियुक्त करता है तो उसे प्रतिकक्षा 1500/=तथा अधिकतम प्रतिमाह 50000/=रुपया देने का प्रावधान है। परंतु नेट/पीएचडी/जेआरएफ वाले उच्च शिक्षित युवाओं के लिए फिर से एक नई शोषणकारी व्यवस्था की शुरुआत की जा रही है। इतना ही नहीं माननीय उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में वाद संख्या WP(s) 675/2018 तथा 1500/2018 में पारित न्याय निर्णय के कंडिका -15 का सरेआम अवमानना है, जहाॅं स्पष्ट रुप से कहा गया है कि विश्वविद्यालय में संविदा शिक्षक/एडहाॅक शिक्षक/ गेस्ट शिक्षक तथा तात्कालिक शिक्षक की नियुक्ति बंद कर स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति किया जाय।विदित हो कि माननीय उच्च न्यायालय ने वाद संख्या 548/2021 में कोल्हान विश्वविद्यालय के साथ साथ राज्य के चार विश्वविद्यालयों में घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के नये विज्ञापन पर भी आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। राज्य में उच्च शिक्षा के गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए और शिक्षकों की समस्या को दूर करने का यह एक विकल्प तो जरूर है,जिस आलोक में विश्वविद्यालय ने यह विज्ञापन प्रकाशित किया है, परंतु 9000/ रुपया मासिक मानदेय शायद राज्य के पारा शिक्षकों को भी नहीं मिलता है इतना तक कि एम.ए. टापर को भी टीचिंग अस्सिटेंट के लिए 15000/ प्रतिमाह दी जाती है। फिर यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार नियुक्त करने जा रही गेस्ट फैकल्टी जो इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त किया हो,उसके शोषण का नायब तरीका यहां देखने को मिल रहा है।