धनबाद: धनबाद लोकसभा क्षेत्र से तीन बार सांसद रहे कामरेड एके राय नहीं रहे. मजदूर आंदोलन और माफिया विरोधी अभियान की देश-विदेश में ख्याति रही है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से राजनीति शुरू करनेवाले राय दा पहले सिंदरी खाद कारखाना में केमिकल इंजीनियर थे. राय दा ने अपना घर परिवार नहीं बसाया. अपनी सारी जिंदगी मजदूर और सर्वहारा की लड़ाई में झोंक दी. कम्युनिस्ट होते हुए भी राय बाबू के बहुत स्वतंत्र विचार थे. टायर का चप्पल पहननेवाले एके राय अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते थे. उन्होंने सांसद के रूप में पेंशन और अन्य सुविधाएं लेने से इनकार कर दिया था. सांसदों को दी जानेवाली सुविधाओं का विरोध करनेवाले वह अकेले सांसद थे. राय दा ने अपनी पार्टी मार्क्सवादी समन्वय समिति (एमसीसी) बनायी थी. हालांकि, उनका मजदूर संगठन बिहार कोलियरी कामगार यूनियन सीटू से संबद्ध है. एक खपड़ैल के घर में बिना बिजली के जिंदगी गुजार देनेवाले राय दा के प्रशंसक उनके विरोधी भी रहे हैं. राय दा की वामपंथी विचारक के रूप में पहचान रही है. वह बड़े अंग्रेजी अखबारों में लेख भी लिखते थे. उनका दशकों पहले कोयलांचल सहित देश के मजदूर आंदोलन में दबदबा रहा है. छत्तीसगढ़ के किसान-मजदूर नेता शंकर नियोगी गुहा उनके समकालीन रहे हैं. उग्र वामपंथी आंदोलन के हिमायती सत्यनारायण सिंह का उनसे गहरा संबंध रहा है. कोयलांचल में पहलवानों के जोर से मजदूर आंदोलन के नाम पर ठेकेदारी और चंदाखोरी करनेवालों को राय साहब के आंदोलन के कारण बैकफुट पर आने को विवश होना पड़ा. राय दा ने शिबू सोरेन और बिनोद बिहारी महतो के साथ 70 के दशक में झारखंड अलग राज्य के आंदोलन को नये सिरे से गति दी. उस दौरान उनके जुलूस में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती थी. जिले के कयी विधानसभा क्षेत्र में उनकी पार्टी का कब्जा था
पूर्व सांसद श्री ए के राय के निधन पर मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने शोक जताया है। उन्होंने पूर्व सांसद श्री ए के राय के निधन को झारखंड के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया। मुख्यमंत्री ने स्व ए के राय का राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कराने का निर्देश दिया है।