बरही संवाददाता
बरही (हजारीबाग): बरही विधानसभा के पूर्व विधायक सह भाजपा नेता मनोज कुमार यादव ने उपायुक्त हजारीबाग को मुख्यमंत्री झारखंड सरकार के नाम आवेदन दिया। आवेदन मे झारखंड के निजी अस्पतालों में किया जा रहा मनमानी रवैया को लेकर आपत्ती जताते हुए कहा कि कोरोना के इस भयानक महामारी से कितने लोगों की मौत हुई और कितने लोगों की मौत चिकित्सा के अभाव में अस्पताल में बेड नहीं मिले, ऑक्सीजन नहीं मिला,वेंटिलेटर नहीं मिले एवं अन्य चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिल पाई इसकी भी भारी संख्या है । सबसे ज्यादा आज के दिन में एक खबर विचलित करती हैऔर समाचार पत्रों एवं मीडिया में सुर्खियों बटोरती है कि निजी अस्पतालों एवं नर्सिंग होम में अनाप-शनाप बिल बनाकर बिना किसी प्रशासनिक भय के लूट वाले बिल बना रहे हैं सीमित संसाधनों में चिकित्सा सुविधा के लापरवाही एवं कमियों के बावजूद सरकारी अस्पतालों में इलाज किए गए, वर्तमान में कोविड-19 के मरीजों की संख्या भारी कमी आई है यह राहत की खबर है। अभी हाल में झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री के बयान भी आए कि निजी अस्पतालों में मजबूरी का फायदा उठाकर अनाप-शनाप बिल बनाने वालों के विरुद्ध कार्यवाही होगी लेकिन करवाई हुई है ऐसी सूचना की जानकारी नहीं मिली। ऐसा भी है कि वर्तमान महामारी में डॉक्टर,नर्सेज, पारा मेडिकल कर्मी एवं प्रशासन से जुड़े लोग देवदूत की तरह अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन कर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण कोई भी व्यापारी या रोजगार से जुड़े व्यक्ति की आय में भारी गिरावट आई है। लेकिन देश का दवा उत्पादक इकाई,जांच करने वाले लैब एवं निजी अस्पताल दोनों हाथ से बिना भगवान के भय और बिना प्रशासन के भय से दोनों हाथ से लूट रहे हैं। चाहे छोटा कस्बा हो, शहर हजारीबाग हो ,कोडरमा हो या राजधानी रांची हो कोई भी जगह इससे अछूता नहीं है। प्रश्न यह है कि जिला प्रशासन हो या राज्य सरकार क्यों नहीं कारवाई कर रही है? क्यों नहीं उपचार व टेस्ट के मानक तय हो रहे हैं?जनता का दोहन करने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई हो। कानूनी कार्रवाई नहीं होने के कारण उन्हें फलने फूलने का अवसर मिल रहा है। जो निजी अस्पताल मानवीय संवेदना को नहीं समझ रहा है उसे सरकार को कानून की भाषा में समझाया जाना चाहिए ताकि कानून का डर बना रहे जिससे निजी अस्पताल के संचालक आपदा को अवसर में बदल नहीं सके। अतः माननीय मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि सभी जिलों में निजी अस्पताल के दोहन व शिकायत के खिलाफ एक नोडल अधिकारी बनाएं एवं हेल्पलाइन नंबर जारी हो ताकि आमजन की शिकायत पर जांच कर आवश्यक कार्रवाई हो और जनता से अतिरिक्त भुगतान लिया गया एक-एक पैसा को लौटाने का आदेश दें,ताकि जनता को न्याय मिल सके एवं इलाज के नाम पर लूटने वाले निजी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई हो।