गोड्डा: लोक मंच के द्वारा हूल दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्यकार सह मंच के कार्यकारी अध्यक्ष शिव कुमार भगत ने तथा संचालन युवा साहित्यसेवी सुरजीत झा ने किया। गोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के पश्चात रेनबो म्यूज़िकल ग्रुप के गायक मिथिलेश कुमार के देशभक्ति गायन से हुआ।
प्रमुख वक्ता के तौर पर मंच के संरक्षक मंजुल कुमार दास ने हूल विद्रोह और उसके नायकों में शामिल चार भाई सिदो, कान्हू, चांद, भैरव एवं दोनों बहनों फूलों व झानो की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हूल विद्रोह के परिणामस्वरूप ही गोड्डा अनुमंडल और दुमका जिला बना तथा एसपीटी एक्ट लागू हुआ। झारखण्ड हमेशा इन बलिदानियों का ऋणी रहेगा। अन्य प्रमुख वक्ताओं में अरूण सहाय, रतन दत्ता, दिलीप तिवारी, रविशंकर झा, अधिवक्ता केसी देव, सच्चिदानंद साहा, जगदीश मंडल ने उक्त नायकों को शब्द-श्रद्धांजलि दी ।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में शिव कुमार भगत ने हूल विद्रोह की तात्कालिक परिस्थितियों की सूक्ष्म विवेचना करते हुए हूल विद्रोह के महाजनी प्रथा के खिलाफ बगावत से प्रारम्भ होकर अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ बगावत में परिणत संघर्ष गाथा को प्रस्तुत किया । इसके अलावा महिला कॉलेज के एनएसएस यूनिट चार की छात्राएं कोमल कुमारी एवं खुशी कुमारी ने भी हूल क्रांति नायकों के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मंच के सचिव सर्वजीत झा ने कहा कि हूल विद्रोह के नायकों को हम सच्ची श्रद्धांजलि तभी दे सकते हैं जबकि हम न तो अपना शोषण सहें और न किसी का किसी भी प्रकार से शोषण करें। गोष्ठी में प्रो नूतन झा, मधुसूदन झा, अशोक मंडल, अखिल कुमार झा, रामानंद गुप्ता, दिनेश राउत, पंकज कुमार झा, मनोज कुमार, भूषण कुमार झा, विभूति भूषण झा, परमानंद झा एवं जयराम प्रसाद यादव की उपस्थिति रही।
इसके पूर्व सुबह 10 बजे लोक मंच द्वारा कारगिल चौक अवस्थित सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया गया।