नरेश कुमार सिंह
मयूरहंड(चतरा)। जिले के मयूरहंड प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में पीएचईडी विभाग द्वारा ग्रामीणों को शुुद्ध पेयजापूर्ति के लिए स्थपित ऊर्जा से संचालित मिनी जलमीनार विभागीय लापरवाही की भेंट चढ शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्रामीणों को पानी की समस्या से निजात दिलाने के साथ शुद्ध पेयजलापूर्ति के लिए पीएचईडी विभाग की ओर से लगभग पांच वर्ष पूर्व प्रखंड के लगभग 10 पंचायतों में लाखों की लागत से सौर ऊर्जा से संचालित मिनी जलमीनार का निर्माण कराया गया था। पर अधिकारियों के लापरवाही व देखरेख के अभाव में लगभग बेकार पड़ी हुई हैं। ऐसे में कई गांव व मुहल्ले के लोगों को पेयजल के लिए सुबह से ही भटकना पड़ता है। कोरोनाकाल से पूर्व तक स्थिति तो थोड़े ठीक रहती थी, क्योंकि लोग एक-दूसरे के घर से पानी ले लिया करते थे। पर, अभी स्थिति ठीक नहीं है। न कोई किसी के घर में पानी लेने जा रहा है और न ही कोई देना चाह रहा है। मिनी जलमीनारों के बेकार रहने से कदगांवाकला, हुसिया, करमा, मंझगांवा, बेलखोरी आदि पंचायतों के दर्जनों गांव में जल संकट गहरा गया है। बताया जाता है किपीएचईडी विभाग द्वारा ऊर्जा से संचालित मिनी जलमीनार के निर्माण में संवेदकों द्वारा अनियमितता बरती गई थी। जिसकी शिकायतें भी विभाग के साथ प्रखंड के जिम्मेवार पदाधिकारियों से की गई, पर सुनने के बाद भी जिम्मेदार चुपचाप हैं। दुसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि गावों में स्थित सौर ऊर्जा संचालित योजनाओं को पुनः चालू करवाने से काफी हद तक पेयजल के संकट से राहत मिल सकती है। ग्रामीणों ने बताया कि खराब पड़ी सौर ऊर्जा पेयजलापूर्ति योजनाओं को ठीक करने की माग कई बार जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों से की गई, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नही दिया।