खूंटी: खूंटी जिले के सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित इलाके की बेटियां आर्थिक अभाव के कारण कम फीस चुकाकर अपना भविष्य संवारने आयी थीं तिरला स्थित होरा एनजीओ के नर्स ट्रेनिंग सेंटर पर लेकिन ट्रेनिंग के पहले ही सेमेस्टर में 40 आदिवासी किशोरी छात्राओं को एनजीओ के कोषाध्यक्ष बबलू उर्फ परवेज आलम ने अपनी गलत मंशा के जाल में फंसा लिया और कहने लगा कि आपलोगों को नर्स ट्रेनिंग में एक खास सहनशक्ति टेस्ट से गुजरना होगा। ऐसा कहकर बबलू उर्फ परवेज ने क्लास के बाद अतिरिक्त क्लास के बहाने एक क्लास रूम में एक एक कर छात्राओं को बुलाना शुरू किया और छेड़खानी के तरीके को सहनशक्ति टेस्ट का जामा पहनाकर छात्राओं की आंखों में धूल झोंकने का काम किया और यह भी कहा कि इसे किसी को बताना मत, लोग गलत समझेंगे। यह टेस्ट नर्सिंग में जरूरी है।
मामला जब ट्रेनिंग सेंटर से बाहर निकलकर आया तो पुलिस प्रशासन तक एक समाजसेविका के माध्यम से मामला पहुंचा। मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने खूंटी महिला थाना प्रभारी और खुंटी की बीडीओ को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा।
इधर समाजसेविका लक्ष्मी बाखला ने बताया कि 9 मार्च से पूर्व नर्स ट्रेनिंग कर रही छात्राओं ने उसे फोन किया और बताया कि होरा एनजीओ के बबलू सर ने उनके साथ छेड़खानी किया है और सहनशक्ति टेस्ट के नाम पर एक एक छात्रा को अकेले अकेले बुलाकर शारीरिक शोषण भी किया है। समाजसेविका ने बताया कि कुछ छात्राओं ने 9 मार्च को अपनी आपबीती उन्हें सुनाई और छात्राओं ने कहा कि आप हमारी मदद करें और हमें बचा लीजिए।
उसके बाद छात्राओं को लक्ष्मी बाखला ने कचहरी मैदान बुलाया जिसमे 10 छात्राएं आयी लेकिन सामने आने पर कई छात्राएं डरी सहमी कुछ बोलना नहीं चाह रही थीं। छात्राओं ने कहा कि उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। नर्स की पढ़ाई भी पूरी नहीं होगी। वे सभी गरीब परिवार से आते हैं किसी तरह 500-हजार रुपया का जुगाड़ कर फीस जमा की हैं। ऐसे में मामला यदि उजागर होता है तो उनकी नर्स ट्रेनिंग अधर में लटक जाएगी और पैसा भी डूब जाएगा।
जिला प्रशासन द्वारा बनाये गए जांच टीम द्वारा पूरे मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए खुंटी महिला थाना प्रभारी और खुंटी बीडीओ को जिम्मेवारी सौंपी गई। मामले की सच्चाई की जांच में जुटी महिला पदाधिकारियों ने होरा नर्स ट्रेनिंग में कार्यरत महिला शिक्षिकाओं से आरंभिक पूछताछ की। होरा एनजीओ में ट्रेनर के तौर पर कार्यरत महिला शिक्षकों ने जांच टीम को बताया कि नर्स ट्रेनिंग में कोई ऐसा सहनशक्ति टेस्ट नहीं होता है। इस तरह की घटना उनकी जानकारी में नहीं है। वे अपना क्लास लेती हैं और वापस चली जाती हैं। इस बीच क्या घटना घटी यह उनकी जानकारी में नहीं है। यदि इस तरह की छेड़खानी घटना घटी है तो इसपर से परदा उठाना पड़ेगा। जांच टीम ने नर्स ट्रेनिंग कर रही छात्राओं से भी उनका बयान ले लिया है। अब इंतजार है कि नर्स ट्रेनिंग में आयी सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित इलाके की बेटियों को जल्द इंसाफ मिलेगा।