रांची: भारतीय जनतंत्र मोर्चा के अध्यक्ष धर्मेंन्द्र तिवारी ने हुल दिवस के अवसर पर आज काँके रोड स्थित पार्क में सिद्धू-कान्हू की प्रतिमाओं पर माल्र्यापण किया एवं उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अन्याय-अनीति के खिलाफ बिगुल बजाने वाले, संथाल विद्रोह के जनक, प्रथम आदिवासी आंदोलन के प्रणेता, आदिवासी समाज के गौरव, प्रकृति के सच्चे उपासक थे, हमारे अमर शहीद सिद्धू-कान्हू।
इस अवसर पर श्री तिवारी ने बताया कि सिद्धू-कान्हू शोषितों के आवाज थे। वे मासूम आदिवासी समाज पर अत्याचारियों द्वारा ढ़ाये जा रहे जुल्म से संथालियों को बचाने के लिए अपना सर्वस्व संथाल समाज के लिए न्यौछावर कर दिया। सिद्धू-कान्हू ने 1855-56 मंे ब्रिटिश सत्ता, स्थानीय साहुकारों, व्यापारियों व जमींदारो सहित ब्रिटिश सत्ता के अत्याचारों के खिलाफ एक विद्रोह कि शुरूआत कि जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। सिद्धू, कान्हू, चांद, भैरव और उनकी बहन फूलो-झानों ने जनजातीय आदिवासी समुदाय का नेतृत्व करते हुए धनुष-बाण के सहारे उस समय के अत्याधुनिक हथियारों से लैस अंगे्रजी सेनाओं के छक्के छुड़ा दिये थे, उनके इन्हीं गुणों के कारण ‘काल माक्र्स’ ने संथाल विद्रोह को भारत का ‘प्रथम जनक्रांति’ कहा हैं।
श्री तिवारी ने लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि सिद्धू-कान्हू के समाज के प्रति कर्तव्यबोध का हम सभी झारखण्ड वासियों को आत्मसात कर उनका अनुकरण करना चाहिए। भ्रष्टाचारियों, अवैध खननकर्ताओं और पर्यावरण विरोधी ताकतों से हम सबको साथ मिलकर ही मुकाबला करना होगा और उन्हें हराना होगा, तभी हम भ्रष्टाचार मुक्त, स्वच्छ-स्वस्थ और हरित झारखण्ड की कल्पना को साकार कर सकेंगे।
श्री तिवारी के साथ माल्र्यापण एवं श्रद्धांजलि अर्पित करनेवालों में मुख्य रूप से भारतीय जनतंत्र मोर्चा के उपाध्यक्ष मुकेश पाण्डेय, महामंत्री आशीष शीतल, कार्यालय प्रभारी, डाॅ. ओम प्रकाश पाण्डेय, राँची महानगर अध्यक्ष, अशोक कुमार सिन्हा, संजय द्विवेदी, शफीक अंसारी, दीपांकर कर्मकार, श्याम बिहारी नायक, अभिषेक सिंह सहित अनेक पदाधिकारी एवं वरिष्ठ कार्यकर्ता मौजूद थे।