बुंडू: यास के चक्रवातीय तूफानी बारिश ने एक झटके में उच्च स्तरीय पुल की पोल खोलकर रख दी। हम बात कर रहे हैं 3 वर्ष पूर्व बने 13 करोड़ की लागत से बुंडू अनुमंडलीय क्षेत्र में कांची नदी पर बने उच्चस्तरीय पुल की। बुंडू, तमाड़ और सोनाहातू तीन प्रखंडों की आम अवाम के लिए यह पुल लाइफ लाइन मानी जाती थी।
लेकिन कांची नदी में पुल बनने से पूर्व तथा यास तूफान के आने से पहले अर्थात 25 मई तक लगातार वर्षों से बालू का उत्खनन अनवरत जारी है। स्थानीय लोगों के अनुसार कांची नदी क्षेत्र के तटीय इलाकों में हर दिन बालू का उत्खनन और बालू की ढुलाई होती है। एक तरफ ग्रामीण कहते हैं कि आज तक खनन पदाधिकारी कांची नदी में छापामारी के लिए नहीं आये हैं। अगर कोई प्रशासनिक पदाधिकारी यहां पहुंचता है तो बालू खनन करने वाले माफियाओं को पूर्व सूचना मिल जाती है। अब सवाल यह पैदा होता है कि बगैर पुलिस प्रशासन के मिलीभगत से बालू का अनवरत खनन और बालू की सप्लाई रांची, टाटा समेत अन्य इलाकों में कैसे की जाती है। क्या बालू खनन से लेकर बालू डंपिंग और बालू की सप्लाई तक में कहीं कुछ अवैध नहीं है। शायद सब वैध है इसलिए आज तक न एसडीओ स्तर से न डीएसपी से शिकायत रांची मुख्यालय तक पहुंची। सब कुछ सामान्य प्रक्रिया से होता रहा और आम जनता देखती रही कि यहां हर दिन 50-60 ट्रैक्टर आखिर किस सिस्टम के हैं जिन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं है।
अब जब अनवरत 50 -60 ट्रैकर को कोई रोकने टोकने वाला नहीं था तो महज् तीन दिन में यास चक्रवातीय तूफान क्यों रेत पर बने सीमेंट कॉन्क्रीट और मोटे मोटे छड़ों से निर्मित उच्च स्तरीय पुल को उड़ा लेने पर आमादा हो गया। जबकि पूरी मीडिया यास के कहर को दिखाने के लिए मिट्टी के खपरैल घरों की तलाश कर रही थी।
स्थानीय लोगों की मानें तो पुल निर्माण में घोर अनियमितता बरती गयी थी जिसके वजह से ये बनने के बाद दूसरे ही साल ध्वस्त हो गया। वहीं पुल ध्वस्त होने का सबसे बड़ा कारण स्थानीय लोग पुल के आसपास नदी से अवैध बालू उत्खनन जिसमें बालू तस्कर कांची नदी पुल के आसपास जेसीबी लगा कर बालू का खनन करते हैं। प्रतिदिन यहां 50 -60 ट्रैक्टर बालू की ढुलाई की जाती है।
वहीं स्थानीय विधायक विकास मुंडा पुल टूटने की खबर पर घटनास्थल पहुंचे और पुल का मुआयना किया। विधायक ने भी मांग की है कि इससे पहले भी एक और उच्च स्तरीय पुल गिरा है और दोनों पुल का कंस्ट्रक्शन कंपनी एक ही है। यास तुफान और बारीश तो एक बहाना बन गया। आखिर उच्च स्तरीय पुल महज तीन साल में गिर गया इसका जांच का विषय है। आखिर दोषी कौन है विभाग और संवेदक दोनों पर उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
विधायक विकास मुंडा ने क्या कहा
जिले के उपायुक्त छवि रंजन ने भी बालू खनन मामले पर पांच दिन पूर्व कहा था कि एसडीओ और डीएसपी लगातार इसपर छापामारी करते रहते हैं। एसएसपी से भी इस इस मसले पर संपर्क में हैं लगातार कार्रवाई भी होती रही है। अवैध बालू उत्खनन की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई भी करते हैं। संबंधित थाना को भी अलर्ट किया गया है। जहां तक पुल की बात है रोड डिवीजन कंपनी से बात करते हैं देखते हैं क्या कार्रवाई की जा सकती है। उपायुक्त ने माना है कि अवैध बालू उत्खनन का मामला संबंधित अधिकारियों के द्वारा नहीं आया है आने पर निश्चित कार्रवाई होगी।
क्या कहा डीसी छवि रंजन ने
एक तरफ ग्रामीण बालू माफिया, खनन विभाग की निष्क्रियता और पुल निर्माण कंस्ट्रक्शन कंपनी को दोषी बता रहे हैं तो वहीं सरकारी पदाधिकारी बालू उत्खनन में अवैध की शिकायत अबतक नहीं आयी है, छापामारी होती है ऐसा मानते हैं। तो अब आखिर दोषी कौन है ? यह बड़ा सवाल है जिस सवाल को उठाने में यास चक्रवात की बड़ी भूमिका है।