गोड्डा: ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सभागार में समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन कार्यक्रम के अन्तर्गत गोड्डा प्रखंड के ग्राम निपनियां के प्रगतिशील किसानों को मूंगफली की उन्नत खेती का प्रशिक्षण दिया गया। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ रविशंकर ने बताया कि मूंगफली की कादरी- 6 किस्म गुच्छेदार किस्म है।मूंगफली में तेल 45 से 55 प्रतिशत, प्रोटीन 28 से 30 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 21-25 प्रतिशत, विटामिन बी समूह, विटामिन-सी, कैल्शियम, मैग्नेशियम, जिंक फॉस्फोरस, पोटाश जैसे मानव शरीर को स्वस्थ रखने वाले खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैैं।
उद्यान वैज्ञानिक डाॅ हेमन्त कुमार चौरसिया ने कहा कि मूंगफली की खेती के लिये अच्छे जल निकास वाली,भुरभुरी दोमट व बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम रहती है। मिट्टी पलटने वाले हल तथा बाद में कल्टीवेटर से दो जुताई करके खेत को पाटा लगाकर समतल कर लेना चाहिए। गुच्छे वाली,कम फैलने वाली किस्मों के लिये कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर तथा फैलने वाली किस्मों के लिये 45 सेंटीमीटर रखें। पौधों से पौधों की दूरी 15 सेमी रखनी चाहिए। किसानों को बीज का उपचार करने के तरीके से अवगत कराया गया। मूंगफली के बीज को 5 ग्राम ट्राईकोडर्मा से जैविक विधि से उपचारित करके बुआई करें।
सस्य वैज्ञानिक डाॅ अमितेश कुमार सिंह ने कहा कि मूंगफली दलहन परिवार की तिलहनी फसल होने के नाते इसको सामान्य रूप से नाइट्रोजनधारी उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती। फिर भी हल्की मिट्टी में शुरूआत की बढ़वार के लिये 15-20 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 50-60 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना लाभप्रद होता है। उर्वरकों की पूरी मात्रा खेत की तैयारी के समय ही भूमि में मिला देना चाहिए। यदि कम्पोस्ट या गोबर की खाद उपलब्ध हो तो उसे बुवाई के 20-25 दिन पहले 5 से 10 टन प्रति हेक्टेयर खेत मे बिखेर कर अच्छी तरह मिला देनी चाहिए। अधिक उत्पादन के लिए अंतिम जुताई से पूर्व भूमि में 250 किग्रा जिप्सम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिला देना चाहिए। प्रगतिशील किसानों को मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 का बीज एवं मूंगफली की वैज्ञानिक खेती पुस्तिका उपलब्ध कराया गया। मौके पर डाॅ रितेश दुबे, राकेश रोशन कुमार सिंह, भूदेव महतो, धनेश्वर महतो, सौरभ आनन्द, आस्तिक कुमार, रामानन्द कुशवाहा, अरविन्द राय आदि प्रगतिशील किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।