रामगढ़: जन संगठन जय झारखंड द्वारा आहूत सामाजिक अगुवाओं की उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल स्तरीय बैठक दिनांक 03/10/2021 दिन रविवार को पेटरवार के भारत माता कल्याण मंडप में होगी। झारखण्डी पहचान,अस्मिता,शासन व्यवस्था और नौकरियों में पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी तथा खान-खनिज के राजस्व में जन भागीदारी सहित अन्य मुद्दों पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों तथा सरकार पर दबाव बनाने की पहल को लेकर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग इस बैठक में भाग लेंगे !
जनता के द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधि ओर सरकार में शामिल लोगों ने इन मुद्दों पर हमेशा जनता की भावनाओ के साथ खेलने का काम किया , पिछले रघुवर सरकार ने इस आग में घी डालने का काम किया,। नई स्थानीय नीति बनाकर पूरे देश के लिए झारखंड में आसानी से स्थानीय बनने का दरवाजा खोल दिया गया।पीढ़ियों से रह रहे मूलनिवासियों और अचानक आये लोगों के स्थानीयता में कोई अंतर नही रहा, लोगो मे निराशा बढ़ती गयी और सरकार के विरुद्ध माहौल बना । विपक्षी झामुमो ने लोगो की दुखती रग को पहचानते हुवे इस मुद्दे को अपने चुनावी मुद्दों में सबसे पहले स्थान पर रखा और सरकार बनने पर साल भर के भीतर 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता पुनर्भाषित कराने की बात करती रही। पिछले चुनाव में काफी आशा और उम्मीद से मूल निवासियों ने झामुमो ओर उनकी सहयोगी पार्टियों को वोट कर सत्ता दिलाई परंतु फिर हुआ वही जो हमेशा से होता आया है सरकार में आते ही हेमंत सोरेन ओर उनके सहयोगी पार्टियों के विधायक स्थानियता पुनर्भाषित कराने के मुद्दे पर चुप्पी साध लिए और ये अब उनके लिए कोई मुद्दा नही है।मैट्रिक इंटर आधारित नीति बनवाकर यहा के मूल निवासी अभ्यर्थियों के लिए इन्होंने रघुवर सरकार से भी अधिक दुर्गति कर दी है।
झारखंड में बड़ी आबादी पिछड़े वर्ग के लोगों की है और शासन व्यवस्था से लेकर शासकीय नौकरियों में इस वर्ग की भागीदारी बहुत ही कम है। एकीकृत बिहार में पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों ओर शिक्षण संस्थानों में 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था थी झारखंड अलग राज्य होने के उपरांत पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण को घटा कर 14 प्रतिशत कर दिया गया ।जिला संवर्ग के पदों पर नियुक्ति में 7 जिलों में पिछडो का आरक्षण शून्य है और 5 जिलों में 10 प्रतिशत से भी कम है जबकि अन्य सभी वर्गो को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। निकट भविष्य में राज्य सरकार द्वारा 1 लाख से अधिक पदों पर नियुक्ति की जानी है इसमें पिछड़े वर्ग को आबादी के अनुसार हिस्सेदारी के लिए भी सरकार पर दबाब बनाये जाने की आवश्यकता है।
झारखंड एक खनिज बहुल राज्य है और उत्तखनन प्रभावित क्षेत्रो और लोगो के लिए इन खनिजो के राजस्व का हिस्सा जिला को प्राप्त होता है जिसे जन भागीदारी से खर्च किया जाना है परंतु नौकरशाही में बैठे लोगों द्वारा अपनी मर्जी से गैर जरूरी कार्यो में खर्च कर पूरी राशि का बंदरबांट किया जाता है।खनिज क्षेत्रों के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है कि इस राशि का उपयोग प्रभावित लोगों के कल्याण के लिए कैसे हो और निर्णय की प्रक्रिया में आम जनता कैसे शामिल हो सके इस पर भी विचार की आवश्यकता है।
जय झारखंड का लीडर्स मीटट इसी कड़ी में एक बड़ा प्रयास है जिसमे हम सभी अपनी अपनी राय साझा करेंगे और सहमति बनाने की कोशिश करेंगे कि कैसे एकजुट होकर एक बड़े बैनर के साथ एक बड़ा जनआंदोलन खड़ा कर स्थानीयता,व्यवस्था में पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी और खान खनिज के राजस्व में जन भागीदारी सहित हमारे बेहतरी के अन्य मुद्दों को लेकर सामूहिक संघर्ष करे।
जय झारखंड का प्रयास है झारखंड और झारखंडियों की बेहतरी की सोच रखने वाले लोग एक मंच पर जुटाकर झारखंड की सड़ी गली दुर्व्यवस्था को दुरुस्त कर बेहतर झारखंड की कहानी साथ साथ गढ़े ।जहा हर हाथ को सम्मान के साथ काम मिले, काम के लिए पलायन ना करना पड़े और किसी संतोषी को भात भात कहते मरना न पड़े।
उपरोक्त संदर्भ में सभी प्रमंडलों में बैठक प्रस्तावित है ताकि अधिक से अधिक सामाजिक अगुवाओं को एक मंच में लाया जा सके। इसके तहत अगली कड़ी में 03 अक्टूबर 2021 को स्थानीय भारत माता कल्याण मंडप,पेटरवार में (पेटरवार प्रखण्ड कार्यालय के समीप) उत्तरी छोटानागपुर स्तरीय लीडर्स मीट का आयोजन निर्धारित किया गया है। जिसमे प्रमण्डल के जवाबदेह और जिम्मेदार लोगों यानि सामाजिक अगुवाओं का जुटान होना तय हुआ है। लीडर्स मीट में उक्त मुद्दों पर व्यापक और प्रभावी गतिविधियों पर साझा समझ आधारित चर्चा की जानी है!कार्यक्रम व्यवस्थापक के रूप में पंकज सिन्हा,धनंजय स्वर्णकार,रंजीत महतो,संजय यादव,गोपाल महतो ,दिनेश महतो और संतोष महतो ने कार्यक्रम की तैयारी पूरी होने की जानकारी दी साथ ही क्षेत्र के अगुवाओं से अपील किया है कि लीडर्स मीट में शामिल होकर अपनी जवाबदेही प्रदर्शित करें।