पाकुड़ : कुर्बानी देना आलमे इस्लाम मे साहेब ए नशाब हर मोमिन मर्द और औरत पर फर्ज करार दिया गया है और इसकी नाफरमानी करने वाला गुनाह का मुस्तहिक (भागीदार ) होता है उक्त बातें हरिणडंगा जामे मस्जिद के इमाम मुफ्ती हाफिज जमील अहमद मिस्बाही ने कही।उन्होंने कहा कि जानवर की कुर्बानी देना सुन्नत ए इब्राह्मी है जो इस्लामिक कलेंडर के आखरी माह 10 जिल्हिज्जा को दी जाती है ।इसके मसाइल और फजाईल कुरान और हदीश के रोशनी में देते हुए मिस्बाही ने कहा कि जिस जानवर की कुर्बानी दी जाय वह तन्दरुस्त हो इसमें किसी तरह का कोई ऐब ना हो अल्लाह के राह में कुर्बान किये गए जानवर के गोशत को तीन हिस्सा करे पहला हिस्सा गरीब मिस्कीन को दें दूसरा हिस्सा अपने दोस्त और रिस्तेदार को बनते और तीसरा हिस्सा अपने खाने के लिए रखे यही सही तरीका है ।मिस्बाही ने लोगों से अपील की के कुर्बानी में अपने गरीब भाई का ख्याल जरूर रखे कुर्बानी की खुशी में उनको भी शामिल करें कुर्बानी ईदुल जोहा के नमाज अदा करने के बाद करना है कोरोना काल को देखते हुए सरकार के गाइड लाइन पर अमल करते हुए अपनो के साथ खुशी मनाये।