रांची: कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा झारखंड प्रदेश के संयोजक मनोज कुमार पांडेय ने रानी चिल्ड्रन हॉस्पिटल के डॉ राजेश कुमार से वार्ता के दौरान पूछा कि आपके अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट बच्चे का डॉक्टर है या नहीं ,प्रबंधक द्वारा कहा गया कि मेरे यहां से डॉक्टर नहीं है जिसके कारण बच्चे का मौत हुआ है प्रबंधक द्वारा एक पत्र मरीज के पिता को दिया गया है, बरही निवासी देवानन्द पाण्डेय का पुत्र जो पिछले 10 दिनों से इलाज चल रहा था जिसमें लाखों रुपए लेने के बाद भी लापरवाह एवं सही डाक्टर का इलाज नहीं होने के कारण बच्चे का देहांत हो गया है! ब्राह्मण महासभा सरकार से अनुरोध करती है कि ऐसे हॉस्पिटल को तत्काल प्रभाव से लाइसेंस रद्द करते हुए उच्च स्तरीय जांच कराई जाए ताकि भविष्य में अस्पताल के लापरवाह के चलते कोई अन्य बच्चे का मौत ना हो सके!डा०के वार्ता क़म में बरही के बिपिन पाण्डेय, रांची से अशोक पाण्डेय, शोभा पाण्डेय, मोहन पाण्डेय, राजू पाण्डेय के अलावा सेकडों लोगों से प्रशासन से कहा है कि तत्काल अस्पताल पर जांच करावे सरकार!
हॉस्पिटल की लापरवाही ने बच्चे की ले ली जान, हंगामा
राजधानी रांची स्थित रांची चिल्ड्रेन अस्पताल में आज एक बच्चे की जान चली गई। उक्त बच्चे का नाम। जानकारी के अनुसार मौत के बाद परिजन अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे। मृत बच्चे का नाम सक्षम पांडेय हैं और वह हजारीबाग जिले के पंचमाधव गांव का रहने वाला था। 16 मार्च को सक्षम पांडे को फीवर आया और उनकी इलाज स्थानीय डॉक्टर मनोज जैन से कराया गया।
डॉ मनोज जैन ने बताया कि थोड़े दिन में बच्चे की तबियत ठीक हो जाएगी। लेकिन सक्षम पांडेय का बार-बार आंख से आंसू आना परिवार वालों को डरा दिया और बेहतर इलाज के लिये रानी रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में 18 मार्च को भर्ती कराया। बताया गया कि परिजन 18 मार्च को रांची के रानी चिल्ड्रेन अस्पताल पहुंचे और बच्चे की बेहतर इलाज के लिए भर्ती कराया। शुरुआती जांच रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चा लकवा पीड़ित है और उसके दाया हाथ में लकवा का लक्षण है।
इस वजह से बच्चे का हाथ सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। इस इलाज के लिए आईबीआईजी नामक छह इंजेक्शन डॉक्टरों ने लिखा । परिजनों ने बताया कि छह इंजेक्शन की कीमत लगभग एक लाख रूपये है। इंजेक्शन देने का समय अंतराल 48 से 60 घंटे थी लेकिन सभी इंजेक्शन छह घंटे के अंदर दे दिया गया।इस वजह से बच्चे की मौत हो गई है। परिजनों ने बताया कि इंजेक्शन बार-बार देने पर मना किया तो इंजेक्शन दे रहे डॉक्टरों ने कहा कि क्या आपको हम पर भरोसा नहीं है। मना करने के बावजूद इंजेक्शन लगातार देते रहे इससे बच्चे की अचानक मौत हो गई।
हंगामा कर रहे परिजनों ने बताया कि एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए और इस मामले की सही तरीके से जांच किया जाए। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि 10 दिन में पांच लाख खर्च डॉक्टरों द्वारा कराया गया है लेकिन बच्चे को जानबूझकर मार दिया। हंगामा कर रहे परिजनों को पुलिस ने शांत कराया और निष्पक्ष जांच कराने का आश्वासन दिया। पुलिस ने कहा कि आपके हर एक बात को अस्पताल प्रबंधन के द्वारा सुना जाएगा। अस्पताल प्रबंधन दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने इस पर कोई बयान नहीं दिया।