रांचीः भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक महेंद्र पाठक ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि पूरे देश में 26 जून को खेती बचाओ ,लोकतंत्र बचाओ आंदोलन चलाया गया, देश के सभी राज्यों के राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदय को किसान विरोधी तीनों काला कानून को निरस्त करने संबंधित अन्य मांगों के समर्थन में मांग पत्र समर्पित की गई। उसी के आलोक में रांची के राज भवन के समक्ष कोविड-19 के गाइडलाइन को पालन करते हुए शारीरिक दूरी बनाकर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी झारखंड राज्य परिषद के सचिव सह अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी रांची जिला सचिव अजय कुमार सिंह ,भाकपा माले जिला सचिव भुनेश्वर केवट सहित अन्य लोगों पर आपदा प्रबंधन के तहत मामला दर्ज किया गया, जो निंदनीय है। सत्ता पक्ष के विधायकों एवं पार्टियों के द्वारा लगातार क्षेत्र में भीड़ भाड़ जमा कर कार्यक्रम किए जा रहे हैं। उस पर कोविड-19 का उल्लंघन नहीं हो रहा है। रांची के बाजार में खुलेआम भीड़ भाड़ हर जगह पर हो रहा है। उसमें उल्लंघन नहीं हो रहा है। लेकिन राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के विरोध में मांग पत्र समर्पित करने गए नेताओं पर मामला दर्ज कर राज्य सरकार ने भी अपने किसान मजदूर विरोधी चेहरा को उजागर किया है। अगर यह सरकार चाहती तो पहले भी वामपंथी नेताओं सहित किसान संगठनों के लोगों ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार से विधानसभा के विशेष सत्र बुलाकर तीनों काले कृषि कानून को निरस्त करने की मांग की थी। लेकिन यह सरकार मोदी के सरकार से डरती है। इसीलिए अभी तक किसानों के हित में ए कदम नहीं उठाया गया। राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम तहत आंदोलनकारी नेतृत्व के साथियों पर मामला दर्ज किया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं किसान संगठनों की ओर से निंदा करती है राज्य सरकार से मांग करती है कि जन आंदोलन में नेतृत्व के साथियों पर आपदा प्रबंधन के द्वारा किया गया एफ आई आर वापस ले। अन्यथा बाध्य होकर राज्य सरकार के विरुद्ध किसान संगठनों के द्वारा आंदोलन चलाया जाएगा ।
महेंद्र पाठक , महासचिव अखिल भारतीय किसान सभा, सह संयोजक अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति झारखंड।