शिक्षक संघ ने अपने प्रखंड के विज्ञान शिक्षक को कोषागार वाहक से हटाने का आग्रह किया
रामगोपाल जेना
चाईबासा: पश्चिमी जिले के सरकारी मध्य विद्यालयों में पदस्थापित कई विज्ञान शिक्षकों को निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी द्वारा नियम को ताक पर रख कर कोषागार वाहक बनाया गया है। वेतन संबंधी विपत्र बनाने एवं उसे कोषागार में जमा करने के नाम पर विज्ञान शिक्षकों को पठन-पाठन कार्य से दूर रखा जा रहा है। जबकि नियमत: कनीय शिक्षकों को कोषागार वाहक के रूप में रखा जा सकता है। इस मुद्दे को लेकर मनोहरपुर इकाई के शिक्षक संघ ने अपने प्रखंड के विज्ञान शिक्षक को कोषागार वाहक से हटाने का आग्रह करते हुए कोल्हान प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक (आरडीडीई)को ज्ञापन भी सौंपा गया। ज्ञापन पर कार्रवाई करते हुए आरडीडीई ने उल्लेखित विज्ञान शिक्षक को कोषागार वाहक से विमुक्त करते हुए नियमानुसार अन्य शिक्षक से वेतन विपत्र संबंधी कार्य कराने का निर्देश जिला शिक्षा अधीक्षक को दिया। आरडीडीई द्वारा निर्देश जारी करने के एक सप्ताह बाद भी विज्ञान शिक्षक को कोषागार वाहक से विमुक्त संबंधी आदेश जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा जारी नहीं होने से शिक्षकों के बीच चर्चा है कि आरडीडीई के निदेश के बावजूद नियम के विरुद्ध विज्ञान शिक्षक को छह-सात वर्षों तक कोषागार वाहक बनाए रखने का विभाग का विशेष रुचि क्यों है।इधर,जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय से शिक्षक संघ द्वारा इस मामले को लेकर सम्पर्क करने पर लिपिकों का उदासीनता पूर्वक कहना है कि जिला शिक्षा अधीक्षक से मिलकर बात हो बेहतर होगा। लिपिकों की बात सुनकर शिक्षक संघ और शिक्षकों में तरह-तरह की चर्चाएं गर्म है। चूंकि जिले के कई प्रखंडों में विज्ञान शिक्षकों द्वारा कोषागार वाहक का काम करवाया जा रहा है।ऐसे में एक प्रखंड के विज्ञान शिक्षक को कोषागार वाहक से विमुक्त करने की स्थिति में अन्य प्रखंडों पर भी इसका असर पड़ेगा और डीडीओ को अपने मनपसंद कोषागार वाहक से वंचित होना होगा। शिक्षकों में यह भी चर्चा है कि डीडीओ द्वारा कोषागार वाहक बदलने संबंधी आदेश नहीं निकालने के लिए जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय पर विशेष दबाव दिया जा रहा है।
बहरहाल, आरडीडीई द्वारा विज्ञान शिक्षकों को कोषागार वाहक नहीं बनाए जाने संबंधी निर्देश के बावजूद जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय से आदेश जारी किए जाने पर शिक्षकों के बीच कई तरह की शंकाएं घर कर जा रही है। चूंकि वर्ष 2017 में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक नीलम आइलिन टोप्पो ने भी तत्कालीन निदेशक, प्राथमिक शिक्षा के पत्र के आलोक में गणित और विज्ञान शिक्षकों को कोषागार वाहक का कार्य से मुक्त करने का निदेश जारी किया था।