इचाक से कुलदीप कुमार की रिपोर्ट
इचाक :ब्रिटिश द्वारा थोपा गया भ्रष्टाचार कारक धारा 353 नॉनबेलेबल सरकारी कार्य में बाधा डालना के कारण विधायिका प्रेस संविधान पर ब्यूरोक्रेट्स तंत्र कहीं ना कहीं हावी है स्वतंत्रता के बाद मुखिया की बातों को माननीय पदाधिकारी गण प्रमुखता से लेते थे और जनता का काम होता था उक्त बातेंडॉ आरसी मेहता प्रमंडलीय अध्यक्ष चिकित्सा सह प्रोफेशनल कांग्रेस हजारीबाग झारखंड कहीं एवं मेहता ने यह भी कहा कि आज विधायक और मंत्रियों की बात तक सुनी नहीं जा रही है इस धारा का ज्यादातर शिकार प्रेस कर्मी आम समाजसेवी एवं नेतागण होते हैं जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है जिसके कारण रामगढ़ की विधायिका अपना सुरक्षाकर्मी को वापस किए।विधायक के बात थाने के जमादार तक नहीं सुन रहे हैं भारतीयों का कर्तव्य है की 353 धारा का विरोध करें धरना प्रदर्शन करें और इस 353 धारा में संशोधन कराया जाए। उदाहरण के द्वारा समझा जा सकता है की एक पदाधिकारी अपने सहयोगी आदेशपाल लिपिक के द्वारा रिश्वत मांगता है इस परिस्थिति में आप अदि देने पर आनाकानी करेंगे या ऊंचा आवाज मैं बोलेंगे तो वहां 353 धारा के तहत सरकारी काम में बाधा डालने के तहत तत्काल केस हो सकता है। लगभग सभी थाना सरकारी कर्मी और अधिकारी इसका सदुपयोग और दुरुपयोग करते हैं देश में कोई भी ऐसा थाना नहीं है जहां 353 धारा का केस लंबित ना हो 353 धारा स्वतंत्र भारत में गुलामी को आद दिलाता है मैं भारत के प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति एवं संविधान विदो से मांग करता हूं इस धारा में तत्काल सुधार किया जाए ।अभी भारत दुनिया के सातवें भ्रष्ट देश हैं कुछ ही वर्षों में नंबर वन भ्रष्ट देश भारत देश कहलाएगा। इन्होंने बहुत जल्द इस विषय पर आंदोलन करने की बात भी कहीं।