रांची: सात वार सात गुहार कार्यक्रम के तहत झारखंड अभिभावक संघ ने आज लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए 4 जुलाई को चौथा वार के तहत विभिन्न मीडिया हाउस के संपादक /ब्यूरो चीफ के समक्ष समर्थन व सहयोग को लेकर वर्चुअल संवाद स्थापित कर सबो से आंदोलन में सहयोग का आग्रह किया। साथ ही उनसबो से अभिभावक संघ की मांग को प्रमुखता से जगह देने की अपील की गई ताकि राज्य सरकार के पास अभिभावकों की सही वस्तु स्थिति व उनकी दयनीय हालात राज्य के मुख्यमंत्री सहित विभागीय पदाधिकारी तक पंहुचाया जा सके।
1. झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम – 2017 को राज्य के हर जिले में प्रभावी बनाया जाए
2. किसी भी स्कूल के द्वारा बच्चों को फ़ीस के एवज में ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित करना अनैतिक एवं स्कूल मैनेजमेंट की मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है. जिस पर रोक लगनी चाहिए.
3. झारखंड सरकार का आदेश जो पिछले साल पत्रांक संख्या 13/वी 12-55/2019 दिनांक 25/06/2020 को निकाला गया था, वह आज भी प्रभावी है. उक्त आदेश के अनुसार निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा अन्य मद में फीस नहीं ले सकता. इसको राज्य सरकार कड़ाई से लागू करें
4. सभी संबद्धता प्राप्त स्कूलों के पिछले 5 साल के आय-व्यय (ऑडिट रिपोर्ट) ब्यौरा की समीक्षा सरकार कराएं. ताकि आर्थिक रूप से कमजोर स्कूल को सहयोग सरकार करें । ताकि वहा काम करने वाले शिक्षक- शिक्षकेतर कर्मचारियों को भी वेतन मिल सके और सरप्लस में चलने वाले स्कूल जिन के विभिन्न अकाउंट में आज भी करोड़ों रुपए फिक्स डिपाजिट हैं. वैसे स्कूलों के ऊपर विभिन्न मदों में लिए जाने शुल्क पर लगाम लगाया जाए.
5. केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा लीज पर उपलब्ध कराए गए जमीन पर खुले स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावे विभिन्न मदों में लिए जाने वाले शुल्क पर रोक लगाए जाने को लेकर राज्य सरकार हस्तक्षेप करें.
झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने राज्य सरकार से आग्रह किया है की समय रहते राज्य सरकार इस पर हस्तक्षेप करें और पूरे मामले को संज्ञान में ले ताकि राज्य के लाखों पीड़ित अभिभावकों को न्याय मिल सके । साथ ही जिन स्कूलों ने विभिन्न मदों में फीस वसूली है या अभी भी वसूल रहे हैं उनके पिछले 5 साल के आय-व्यय के ब्योरे की जांच सरकार कराएं ताकि उनके मन माने पन पर रोक लग सके।