बोकारो से जय सिन्हा
बोकारो: बोकारो ज़िले के नावाडीह प्रखण्ड में दुर्गापूजा महोत्सव आरम्भ करने का का श्रेय बंगाली समाज को जाता है। 160 वर्ष पूर्व पश्चिम बंगाल कोलकाता से व्यपार करने के लिए नावाडीह प्रखंड के दहिया री और कंचनपुर आकर बंगाली समाज के दो परिवार बसे, अपनी कला संस्कृति एवं त्यौहार, रीतिरिवाज को स्वाभाविक रूप से मनाते भी रहे। इस प्रकार ये परिवार व्यपार के साथ साथ अपनी परम्परा और संस्कृति को भी यहाँ स्थापित करने में सफल रहे। दहियारी गांव के बंगाली ब्राम्हण समाज के सदस्य हीरालाल ठाकुर की अगर माने तो उनके परिवार के बुजुर्गों से उन्हें मिली जानकारी के अनुसार सात पीढ़ी पहले बेनी नायक द्वारा समाज के गण्यमान लोगो की सलाह पर 1860 में दहियारी गांव में छप्पर तान कर शारदीय नवरात्र पूजा का शुभरम्भ हुआ, आज इस समाज के आपसी सहयोग से भव्य मन्दिर बनकर तैयार है। यह परिवार समाज पूजा के लिए कही से कोई चन्दा भी नही लेते, परिवारजनों के आपसी सहयोग से ही पूजा बिना तामझाम के शारदीय नवरात्र का आयोजन करता आ रहा है। उस वक़्त दूर दूर
तक इस इलाके में शारदीय नवरात्र नही हुआ करता था।पूर्व से ही यहाँ दुर्गापूजा के अवसर मेले का आयोजन होता रहा है, इसलिए दूर दराज के इलाकों तक लोगो मे इसके प्रति लोगो मे आकर्षण बढ़ता गया और लोग यहाँ पूजा वास्ते पहुँचने लगे। यहाँ मेले का मुख्य आकर्षण बंगला जात्रा और घोड़ा नाँच हुआ करता था। आज भी यहाँ पूजा के विधि विधान अनुष्ठान के लिए पश्चिम बंगाल से ही आचार्य बुलाये जाते है। दहीयारी गांव के बंगाली परिवार के जो भी सदस्य देश विदेश कही भी हो वो शारदीय नवरात्र के पूजन उत्सव सपरिवार भाग लेने जरूर पहुँचते है। सभी अपनी संस्कृति, रीतिरिवाज और परम्परा को बचाये रखने में अपना पूरा योगदान दे रहे है।