पाकुड़ : शहर के हाटपाड़ा स्थित मरकज मस्जिद में इमारत शरिया बिहार झारखण्ड और उड़ीसा के द्वारा जारी शिक्षा और उर्दू जुबान की रक्षा अभियान विषय पर एक आम सभा का आयोजन मौलाना अंजर कासमी की अध्यक्षता में किया गया।आम सभा मे मुख्य रूप से इमारत शरिया के उपसंयोजक मुफ्ती सोहेल अख्तर फुलवारी शरीफ और मुफ्ती सईद असद कासमी आसनसोल ने शिरकत की। सभा को संबोधित करते हुये आसनसोल से आये मुफ्ती सईद असद ने कहा कि आज के बदलते हालत और हुकूमत हिन्द के नई शिक्षा नीति को देखते हुए इमारत शरिया के संयोजक मौलाना सैयद मो वली रहमानी ने बिहार ओडिसा और झारखण्ड में शिक्षा और उर्दू जुबान की रक्षा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है । उन्होंने कहा कि शिक्षा का हासिल करना जरूरी है बगैर शिक्षा के इनसान की जिंदगी का कोई मने नही है। इस्लाम मे शिक्षा ग्रहण करना अनिवार्य बताया गया है । शिक्षा ग्रहण से मतलब मजहबी शिक्षा ही नही बल्कि दुनिया के दूसरे जुबान की शिक्षा हासिल करना है । सभा को सम्बोधित करते हुए मुफ्ती मो सोहेल अख्तर ने कहा कि शिक्षा और उर्दू जुबान की रक्षा अभियान के द्वारा लोगो को जागरूक किया जारहा है। अपने बच्चों को शिक्षित बनाये मजहबी किताबो के शिक्षा के साथ हिंदी,अग्रेंजी समेत सभी जुबान में महारत हाशिल हो । उन्होंने कहा कि सरकार जो नई शिक्षा नीति आगामी अप्रेल से लागू कर रही है। जिसमे उर्दू का जिक्र नही है। साथ ही बच्चों को नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा दी जाएगी सरकार के नई नीति में उर्दू के साथ सौतेला ब्यवहार के बु आरही है। जब कानून ने हमे शिक्षा का अधिकार दिया है। मगर सरकार मदरसों और मकतब में शिक्षा ग्रहण करने वालो को साक्षर मानने को तैयार नही है। इमारत शरिया ने अभियान चला कर लोगो को दिनी और दुनियाबी शिक्षा पर जोर दिया है ।सभा की अध्यक्षता कर रहे कासमी ने कहा कि हमारे मजहब के किताब जो बस्तर उर्दू जुबान में है जब लोग उर्दू पड़ेंगे नही तो अपने मजहब को कैसे जानेंगे। सरकार की नीति आने वाली नस्ल को बर्बाद कर देगी ।उर्दू एक जुबान ही नही हमारे सभ्यता की पहचान है। जो दुनिया के सभी हिस्से में बोली और पढ़ी जाती है ।मोके पर जमीयत ओलमा हिन्द के पाकुड़ जिला अध्यक्ष मौलाना अंजर कासमी ,मो अब्बास मजहरी इमारत शरिया ,अंजुमन तरक्की उर्दू के जिला अध्यक्ष हाजी इकबाल हुसैन ,हाट पड़ा जामे मस्जिद के इमाम मो इम्तियाज कासमी ,हाजी इम्तियाज ,इस्राइल ,मो नईम ,मो रियाज अली ,इकरामुल हक ,जहांगीर ,जहीर समेत दर्जनो बुद्धिजीवी मौजूद थे।