रांची:झारखंड अभिभावक संघ द्वारा पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि के खिलाफ लालपुर चौक में हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की गई ! इस अवसर पर सैकड़ों अभिभावकों ने हस्ताक्षर कर अपना पूर्ण समर्थन देते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस पर संवेदनशील होना चाहिए और करोना महामारी में अभिभावकों के दर्द को भी समझना चाहिए। झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार इस महामारी में भी जो स्कूल आपदा में अवसर तलाशे हुए है उनके खिलाफ कोई निर्णय नहीं ले पा रहे है जो अभिभावकों को सोचने पर मजबूर कर रहा है ,आखिर कौन सी परेशानी है की वो इस दिशा में कोई कदम उठा नहीं पा रहे है।
अजय राय ने कहा कि सरकारी स्कूल बर्वादी के कगार पर पहुँच गये और आज 70 साल बाद भी सरकारी विद्यालयों में बच्चे टाट -पट्टियों पर बैठ कर शिक्षा लेने को मजबूर है क्या सरकार ने सोचा कि पूरे प्रदेश में कितने CBSE बोर्ड से एफिलिएटेड सरकारी स्कूल हमारे बच्चों के लिए खोले गये जबाब होगा एक भी नही ।
उन्होंने कहा की जब सरकारों के पास सभी योजनाओं के लिए फण्ड है तो फिर सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों से बेहतर इंफ्रास्ट्रेक्चर देने के लिए फण्ड क्यो नही क्योकि हमारी आंखों के सामने ही सरकारी स्कूलों की अनदेखी कर निजी स्कूलों को सरक्षण देकर शिक्षा को व्यापार बना दिया गया और हम देखते रहे हमने कभी सरकार में बैठे नेता गण से सरकारी स्कूलों की दुर्दशा के कारण पर प्रश्न पूछने की हिम्मत ही नही दिखाई और आज परिणाम हम सबके सामने है ।
अजय राय ने कहा मुख्यमंत्री का शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेन ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की अनुसरण करने की बात कही थी वह तो छोड़िए आज 4896 सरकारी स्कूल विलय करने की तैयारी हो गई है आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन यह प्रश्न सत्ता में बैठे हुए जनप्रतिनिधियों से है। आज के हस्ताक्षरअभियान कार्यक्रम सफल बनाने में ललित मिश्रा ,निरंजन शर्मा ,निरंजन मोदी ,अमित अग्रवाल ,मनोज शर्मा ,ब्रजेश तिवारी,छोटू कुमार ,संजय सर्राफ ,अभय पांडेय ,बजरंग कुमार आदि की भूमिका सराहनीय रही।
कल मौन धरना का कार्यक्रम है।
संघ की मांग इस प्रकार हैः-
(1) पिछले साल निकाले गए विभागीय पत्रांक 1006 दिनांक 25/06/2020 का शत-प्रतिशत अनुपालन सत्र 2021-22 में भी सुनिश्चित हो ।
(2) शुल्क के अभाव में छात्रों को ऑनलाइन क्लास से वंचित ना करे ।
(3) सम्बद्धता प्राप्त निजी विद्यालयों की मनमर्जी पर नकेल कसे, विद्यालय स्तरीय पारदर्शी शिक्षण शुल्क समिति का गठन सुनिश्चित हो।
(4) झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 को राज्य के सभी जिले में पूर्णतया पारदर्शी तरीके से लागू किया जाय । साथ ही
शिक्षण के अनुपात में ही शिक्षण शुल्क का निर्धारण करने, एक्ट के तहत पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन का गठन हर स्कूल में हो ।
(5) निजी विद्यालयों की पिछले 5 साल का ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा राज्य सरकार करें ताकि जिस स्कूल के आर्थिक स्थिति सही है वहां विभिन्न मदों में लिए जाने वाले शुल्क पर रोक लगे और जिन स्कूलों के आर्थिक हालात खराब है उन्हें आपदा राहत कोश से आर्थिक पैकेज दे सरकार ।
(6) स्कूलों में चलने वाली बसों के टैक्स ,इंश्योरेंस माफ करने को लेकर कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पारित करे राज्य सरकार।
(7) स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक , शिक्षकेतर कर्मचारियों का वेतन पूर्व की तरह सुनिश्चित हो।